Chapter 13 हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons) Solutions
Question - 11 : - किसी निकाय द्वारा ऐरोमैटिकता प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक शर्ते क्या हैं?
Answer - 11 : -
किसी अणु के ऐरोमैटिक होने के लिए आवश्यक शर्ते निम्न हैं-
- अणु में तल के ऊपर तथा नीचे विस्थानीकृत -इलेक्ट्रॉनों का एक चक्रीय अभ्र (cyclic cloud) होना चाहिए।
- अणु समतलीय होना चाहिए। ये इसलिए आवश्यक है क्योंकि 7-इलेक्ट्रॉनों के पूर्ण विस्थानीकरण के लिए वलय समतलीय होनी चाहिए जिससे p-कक्षकों का चक्रीय अतिव्यापन हो सके।
- इसमें (4n+2) π-इलेक्ट्रॉनं होने चाहिए, जहाँ n = 0, 1, 2, 3, … है। इसे हकल नियम कहते हैं।
Question - 12 : - इनमें से कौन-से निकाय ऐरोमैटिक नहीं हैं? कारण स्पष्ट कीजिए-
Answer - 12 : -
में एक sp3 संकरित कार्बन परमाणु है, अतः अणु समतलीय नहीं होगा। अणु में 6π-इलेक्ट्रॉन हैं। लेकिन निकाय पूर्णत: संयुग्मित नहीं है चूँकि सभी π-इलेक्ट्रॉन चक्रीय वलय के सभी परमाणुओं के चारों ओर चक्रीय इलेक्ट्रॉन अभ्र नहीं बनाते हैं, अतः यह ऐरोमैटिक यौगिक नहीं है।
ऐरोमैटिक यौगिक नहीं है क्योंकि इसमें एक sp3 कार्बन परमाणु हैं जिसके कारण अणु समतलीय नहीं है। पुनः इसमें केवल 4-इलेक्ट्रॉन हैं अत: निकाय ऐरोमैटिक नहीं है क्योकि (4n +2) π-इलेक्ट्रॉनों युक्त । समतलीय चक्रीय अभ्र उपस्थित नहीं है।
ऐरोमैटिक नहीं है क्योंकि यह 8-इलेक्ट्रॉनों युक्त निकाय है अतः यह हकल के नियम अर्थात् (4n +2) π-इलेक्ट्रॉन का पालन नहीं करता है। साथ ही यह समतलीय न होकर टब आकृति (tub-shaped) का होता है।
Question - 13 : - बेन्जीन को निम्नलिखित में कैसे परिवर्तित करेंगे-
(i) p-नाइट्रोब्रोमोबेन्जीन
(ii) m-नाइट्रोक्लोरोबेन्जीन
(iii) p-नाइट्रोटॉलूईन
(iv) ऐसीटोफीनोन।
Answer - 13 : -
Question - 14 : - ऐल्केनHC-CH2-C-(CH32-CH2-CH(CH3) में 1°, 2° तथा 3° कार्बन परमाणुओं की पहचान कीजिए तथा प्रत्येक कार्बन से आबन्धित कुल हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या भी बताइए।
Answer - 14 : -
पाँच 1° कार्बन परमाणुओं से 15 H संलग्न हैं।
दो 2° कार्बन परमाणुओं से 4 H संलग्न हैं।
एक 3° कार्बन परमाणु से 1 H संलग्न है।
Question - 15 : - क्वथनांक पर ऐल्केन की श्रृंखला के शाखन का क्या प्रभाव पड़ता है?
Answer - 15 : -
ऐल्केनों के क्वथनांक शाखन के साथ घटते हैं क्योंकि शाखन (branching) बढ़ने पर ऐल्केन का पृष्ठ क्षेत्रफल गोले (sphere) के समान हो जाता है। चूंकि गोले का पृष्ठ क्षेत्रफल न्यूनतम होता है, अतः वाण्डर वाल्स बल न्यूनतम होते हैं। अतः शाखन पर क्वथनांक घटते हैं।
Question - 16 : - प्रोपीन पर HBr के संकलन से 2-ब्रोमोप्रोपेन बनता है, जबकि बेंजॉयल परॉक्साइड की उपस्थिति में यह अभिक्रिया 1-ब्रोमोप्रोपेन देती है। क्रियाविधि की सहायता से इसका
कारण स्पष्ट कीजिए।
Answer - 16 : -
प्रोपीन पर HBr का योग आयनिक इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया है जो मारकोनीकॉफ नियमानुसार होती है। इस अभिक्रिया में सर्वप्रथम Hजुड़कर 2° कार्बोधनायन देता है। इस कार्योधनायन पर नाभिकस्नेही Br- आयन को शीघ्रता से आक्रमण होता है तथा 2-ब्रोमोप्रोपेन प्राप्त होती है।
बेन्जॉयल परॉक्साइड की उपस्थिति में अभिक्रिया मुक्त मूलक क्रियाविधि के अनुसार होती है। इस अभिक्रिया में Br मुक्त मुलक इलेक्ट्रॉनस्नेहीं के रूप में कार्य करता है जो बेन्जॉयल परॉक्साइड की HBr से क्रिया द्वारा प्राप्त होता है।
मुक्त मूलक प्रोपीन पर इस प्रकार क्रिया करता है कि अधिक स्थायी द्वितीयक (2°) मुक्त मूलक की उत्पत्ति हो सके। यह 2° मूलक HBr से एक H-परमाणु ग्रहण कर 1-ब्रोमोप्रोपेन देता है।
Question - 17 : - 1, 2-डाइमेथिलबेन्जीन (o-जाइलीन) के ओजोनी अपघटन के फलस्वरूप निर्मित उत्पादों को लिखिए। यह परिणाम बेन्जीन की केकुले संरचना की पुष्टि किस प्रकार
करता है?
Answer - 17 : - 0-जाइलीन को निम्नलिखित दो केकुले संरचनाओं को अनुनाद संकर माना जाता है। प्रत्येक के ओजोनी अपघटन से दो उत्पाद प्राप्त होते हैं-
अतः समग्र रूप से तीन उत्पाद निर्मित होते हैं। चूंकि सभी तीन उत्पाद दो केकुले संरचनाओं में से एक से प्राप्त नहीं हो सकते हैं इससे प्रदर्शित होता है कि o-जाइलीन दो केकुले संरचनाओं का अनुनाद संकर है।
Question - 18 : - बेन्जीन, n-हैक्सेन तथा एथाइन को घटते हुए अम्लीय व्यवहार के क्रम में व्यवस्थित कीजिए और इस व्यवहार का कारण बताइए।
Answer - 18 : - इन तीनों यौगिकों में कार्बन की संकरण अवस्था निम्नवत् है-
कक्षक का 5-लक्षण बढ़ने पर अम्लीय लक्षण बढ़ता है अतः अम्लीय लक्षण निम्न क्रम में घटता है-
ऐसीटिलीन > बेंजीन > हेक्सेन
Question - 19 : - बेन्जीन इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ सरलतापूर्वक क्यों प्रदर्शित करती हैं, जबकि उसमें नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन कठिन होता है?
Answer - 19 : -
C6H6 (बेंजीन) की कक्षक संरचना प्रदर्शित करती है कि -इलेक्ट्रॉन अभ्र वलय के ऊपर तथा नीचे स्थित है तथा ढीला व्यवस्थित है अत: इलेक्ट्रॉनस्नेही के लिए आसानी से उपलब्ध है, अत: बेंजीन इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ शीघ्रता से देती है तथा नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन क्रियाएँ: कठिनता से देती है।
Question - 20 : - आप निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जीन में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) एथाइन
(ii) एथीन
(iii) हेक्सेन।
Answer - 20 : -