Question -
Answer -
स्पष्ट है कि बिन्दु A तथा बिन्दु B अधिकतम विस्थापन की स्थितियाँ हैं तथा इनका मध्य बिन्दु O (मोना), सरल आवर्त गति का केन्द्र है।
(a) ∴ बिन्दु A पर कण का वेग शून्य होगा।
कण के त्वरण की दिशा बिन्दु A से साम्यावस्था O की ओर होगी; अतः त्वरण धनात्मक होगा।
कण पर बल, त्वरण की ही दिशा में होगा; अत: बल धनात्मक होगा।
(b) बिन्दु B पर भी कण का वेग शून्य होगा।
कण का त्वरण B से साम्यावस्था O की ओर दिष्ट होगा; अतः त्वरण ऋणात्मक होगा।
बल भी ऋणात्मक होगा।
(c) AB का मध्य बिन्दु 0 सरल आवर्त गति का केन्द्र है।
∴ कण B से A की ओर चलते हुए 0 से गुजरता है; अत: वेग BA के अनुदिश है, अर्थात् वेग ऋणात्मक है।
बिन्दु ०पर त्वरण तथा बल दोनों शून्य हैं।
(d) B से 2 cm दूरी पर कण B तथा 0 के बीच होगा।
∴ कण B से A की ओर जा रहा है; अतः वेग ऋणात्मक होगा।
यहाँ त्वरण भी B से O की ओर दिष्ट है; अतः त्वरण भी ऋणात्मक है।
‘बले भी ऋणात्मक है।
(e) ∴ कण-B की ओर जा रहा है; अतः वेग धनात्मक है।
∴ कण A व O के बीच है; अत: त्वरण A से O की ओर दिष्ट है; अत: त्वरण भी धनात्मक है।
बल भी धनात्मक है।
(f) ∴ कण A की ओर जा रहा है; अत: वेग ऋणात्मक है।
कण B तथा O के बीच है तथा त्वरण B से O की ओर (अर्थात् B से A की ओर दिष्ट है; अतः त्वरण ऋणात्मक है।
बल भी ऋणात्मक है।