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Question -

स्पष्ट कीजिए कि चित्र-7.19 में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?
(a) B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरम्भ होने से पूर्व घर्षणी बल-आघूर्ण की दिशा क्या है?
(b) परिशुद्ध लोटनिक गति आरम्भ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?



Answer -

चक्रिका मूलतः शुद्ध घूर्णी गति कर रही है जबकि लोटनिक गति प्रारम्भ होने का अर्थ घूर्णी गति के साथ-साथ स्थानान्तरीय गति का भी होना है, परन्तु स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ होने के लिए बाह्य बल आवश्यक है। अत: चक्रिका की लोटनिक गति होने के लिए घर्षण बल (वर्णित परिस्थिति में एकमात्र बाह्य बले घर्षण बल ही हो सकता है) आवश्यक है।
(a) बिन्दु B पर घर्षण बल की दिशा तीर द्वारा प्रदर्शित दिशा में (बिन्दु B की अपनी गति की दिशा के विपरीत) है जबकि घर्षण बल के कारण उत्पन्न बल-आघूर्ण की दिशा कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर है।
(b) घर्षण बल बिन्दु B को मेज के सम्पर्क बिन्दु के सापेक्ष विराम में लाना चाहता है, जब ऐसा हो जाता है तो परिशुद्ध लोटनिक गति प्रारम्भ हो जाती है।
अब चूँकि सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं है; अतः घर्षण बल शून्य हो जाता है।

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