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Question -

विरामावस्था में किसी मुक्त न्यूट्रॉन के क्षय पर विचार कीजिए n → p + e–
प्रदर्शित कीजिए कि इस प्रकार के द्विपिण्ड क्षय से नियत ऊर्जा का कोई इलेक्ट्रॉन अवश्य उत्सर्जित होना चाहिए, और इसलिए यह किसी न्यूट्रॉन या किसी नाभिक के β – क्ष्य में प्रेक्षित सतत ऊर्जा वितरण का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता। (चित्र-6.11)
[नोट – इस अभ्यास का हल उन कई तर्कों में से एक है जिसे डब्ल्यु पॉली द्वारा β – क्षय के क्षय उत्पादों में किसी तीसरे कण के अस्तित्व का पूर्वानुमान करने के लिए दिया गया था। यह कण न्यूट्रिनो के नाम से जाना जाता है। अब हम जानते हैं कि यह निजी प्रचक्रण 1/2 (जैसे e–, p या n) का कोई कण है। लेकिन यह उदासीन है या द्रव्यमानरहित या इसका द्रव्यमान (इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में) अत्यधिक कम है और जो द्रव्य के साथ दुर्बलता से परस्पर क्रिया करता है। न्यूट्रॉन की उचित क्षय – प्रक्रिया इस प्रकार है : n → p + e– + v]



Answer -

चूँकि न्यूट्रॉन विरामावस्था में है; अत: उक्त अभिक्रिया के अनुसार न्यूट्रॉन क्षय में एक नियत ऊर्जा मुक्त होनी चाहिए और β – कण को उस नियत ऊर्जा के साथ नाभिक से उत्सर्जित होना चाहिए। इस प्रकार नाभिक से उत्सर्जित β – कण की ऊर्जा नियत होनी चाहिए, जबकि दिया गया ग्राफ यह प्रदर्शित करता है कि उत्सर्जित β – कण शून्य से लेकर एक महत्तम मान के बीच कोई भी ऊर्जा लेकर बाहर आ सकता है; अतः न्यूट्रॉन क्षय की उक्त अभिक्रिया ग्राफ द्वारा प्रदर्शित हु-कणों के सतत ऊर्जा वितरण की व्याख्या नहीं कर सकता।

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