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Question -

इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद् (पी०ए०एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनन्द लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाणवीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुँच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना, सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्त्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?



Answer -

(a) रेलगाड़ी दो स्टेशनों के बीच बिना झटके के चल रही है; अत: दोनों स्टेशनों के बीच की दूरी को रेलगाड़ी की लम्बाई की तुलना में अधिक माना जा सकता है। इसलिए रेलगाड़ी को बिन्दु वस्तु माना जाएगा।
(b) चूंकि बन्दर द्वारा यथोचित समय में तय की गई दूरी अधिक है; अत: बन्दर को बिन्दु वस्तु माना जाएगा।
(c) चूंकि गेंद का मुड़ना सरल नहीं है; अतः यथोचित समय में गेंद द्वारा तय की गई दूरी अधिक नहीं है। इसलिए गेंद को बिन्दु वस्तु नहीं माना जा सकत
(d) चूंकि बीकर मेज के किनारे से फिसलकर गिरता है; अतः यथोचित समय में इसके द्वारा तय की गई दूरी अधिक नहीं है। इसलिए इसे बिन्दु वस्तु नहीं माना जा सकता।

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