Question -
Answer -
चट्टान एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण है। भूपृष्ठ, शैल या चट्टानों के संयोग द्वारा ही निर्मित है। भूपृष्ठ पर सामान्यतया निम्नलिखित तीन प्रकार की चट्टानें मिलती हैं—(1) आग्नेय चट्टान, (2) अवसादी या परतदार चट्टान, (3) रूपान्तरित चट्टान। इन तीनों प्रकार की चट्टानों की प्रकृति एवं उत्पत्ति पद्धति को शैली चक्र के माध्यम से भली प्रकार समझा जा सकता है।
चट्टानों की उत्पत्ति-भूपृष्ठ के नीचे सभी चट्टानें तरल अवस्था में हैं, जिसे मैग्मा कहते हैं। जब मैग्मा आन्तरिक भाग में ठण्डा होता है या लावा के रूप में भूपृष्ठ के बाहर आकर ठण्डा होता है तो आग्नेय चट्टानों की उत्पत्ति होती है। जब बाह्य आग्नेय चट्टानों पर अपक्षय एवं अपरदने दोनों कारक अपना प्रभाव डालते हैं तो ठोस पदार्थ खण्डित होकर शैल चूर्ण में परिवर्तित होता है। इस पदार्थ को अपरदन के कारक अन्यत्र स्थान पर परिवहित करके अनेक परतों के रूप में निक्षेपित करने से परतदार चट्टानों की उत्पत्ति होती है। अत्यधिक ताप एवं दबाव के कारण जब परतदार एवं आग्नेय चट्टानों का रूप परिवर्तित होने लगती है तब कायान्तरित चट्टानों का निर्माण होता है (चित्र 5.1)। शैली चक्र द्वारा आग्नेय, परतदार एवं कायान्तरित तीनों प्रकार की चट्टानों की उत्पत्ति पद्धति और भी स्पष्ट होती है।
विभिन्न प्रकार की चट्टानों की प्रकृति एवं अन्तर
1. आग्नेय चट्टान-आग्नेय चट्टानें कलेर, रवेदार एवं अप्रवेश्य होती हैं। इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं।
2. परतदार चट्टान-परतदार चट्टानें कोमल, प्रवेश्य, जीवाश्मयुक्त होती हैं। इनमें कणों के स्थान पर | परत पाई जाती हैं।
3. कायान्तरित चट्टान-ये चट्टानें कठोर होती हैं। टूटने पर इनके कण बिखर जाते हैं। इनकी उत्पत्ति धरातल से हजारों मीटर की गहराई पर होती है। ये चट्टानें विभिन्न रंगों वाली होती हैं।