Question -
Answer -
आग्नेय’ शब्द लैटिन भाषा के ‘इग्नियस’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है, जिसका अर्थ होता है। ‘अग्नि’। परन्तु अग्नि से इन शैलों का कोई विशेष सम्बन्ध नहीं है। वारसेस्टर के अनुसार, “जो चट्टानें द्रव पदार्थों के ठण्डे होने से ठोस अवस्था में बदल गई हैं, वे आग्नेय शैल कहलाती हैं।” भूपृष्ठ पर मिलने वाली शैलों में आग्नेय शैलें प्राचीनतम हैं। इन शैलों को प्राथमिक शैल भी कहा जाता है, क्योंकि अन्य शैलों को जन्म इन्हीं के द्वारा होता है।
भूगर्भ का तरल एवं तप्त मैग्मा, भूतल पर पहुँचकर ठण्डा होने से रवेदार कणों के रूप में जमकर आग्नेय शैल का रूप धारण कर लेता है। पृथ्वी पर जिस समय आग्नेय चट्टानों की रचना हुई, उस समय धरातल पर जीव-जन्तु नहीं थे, इसलिए इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते। परतविहीन कणों का मिलना इन शैलों का मुख्य लक्षण है। इसीलिए ये शैल अत्यन्त कठोर होती हैं और इन पर अपक्षयं एवं अपरदन को सबसे कम प्रभाव पड़ता है।