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Chapter 11 वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere) Solutions

Question - 1 : -
 मानव के लिए वायुमण्डल का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(क) जलवाष्प
(ख) धूलकण
(ग) नाइट्रोजन
(घ) ऑक्सीजन

Answer - 1 : - (घ) ऑक्सीजन।

Question - 2 : -
निम्नलिखित में से वह प्रक्रिया कौन-सी है जिसके द्वारा जल, द्रव से वाष्प में बदल जाता है?
(क) संघनन ।
(ख) वाष्पीकरणे
(ग) वाष्पोत्सर्जन
(घ) अवक्षेपण

Answer - 2 : - (ख) वाष्पीकरण।

Question - 3 : -
निम्नलिखित में से कौन-सा वायु की उस दशा को दर्शाता है जिसमें नमी उसकी पूरी क्षमता के अनुरूप होती है?
(क) सापेक्ष आर्द्रता
(ख) निरपेक्ष आर्द्रता
(ग) विशिष्ट आर्द्रता
(घ) संतृप्त हवा

Answer - 3 : - (ख) निरपेक्ष आर्द्रता।।

Question - 4 : -
 निम्नलिखित प्रकार के बादलों में से आकाश में सबसे ऊँचा बादल कौन-सा है?
(क) पक्षाभ
(ख) वर्षा मेघ
(ग) स्तरी
(घ) कपासी

Answer - 4 : - (क) पक्षाभ।

Question - 5 : - वर्षण के तीन प्रकारों के नाम लिखें।

Answer - 5 : - वर्षण के तीन प्रकारों के नाम निम्नलिखित हैं– 1. जलवर्षा, 2. हिमवर्षा, 3. ओलावृष्टि।।

Question - 6 : - सापेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।

Answer - 6 : -

वायु में निरपेक्ष या वास्तविक आर्द्रता एवं वायु के जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता का अनुपात । सापेक्ष आर्द्रता कहलाती है। यह सदैव प्रतिशत में मापी जाती है।
अर्थात् दिए गए तापमान पर एक स्थान की वायु में जलवाष्प की मात्रा तथा उस वायु की जलवाष्प धारण करने की अधिकतम क्षमता के अनुपात को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं जिसे उक्त सूत्र से ज्ञात किया जाता है। इसे मापने हेतु आई बल्ब एवं शुष्क बल्ब तापमापी यन्त्र का प्रयोग किया जाता है।

Question - 7 : - ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा तेजी से क्यों घटती है?

Answer - 7 : - ऊँचाई के साथ आर्द्र हवा जब ठण्डी होती है तब उसमें जलवाष्प को धारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है। अतः ऊँचाई पर जाने पर हवा ठण्डी होने के कारण उसमें जलवाष्प की मात्रा तेजी से घटने लगती है, क्योंकि उपयुक्त तापमान के अभाव में हवा में जल धारण क्षमता नहीं रहती। इसीलिए ऊँचाई के साथ तापमान घटने के कारण जलवाष्प की मात्रा तेजी से घटती जाती है।

Question - 8 : - बादल कैसे बनते हैं? बादलों का वर्गीकरण कीजिए।

Answer - 8 : - बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे कणों की संहति है। बादलों की उत्पत्ति पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतन्त्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण होती है। बादलों को ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर निम्नलिखित चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है1. पेक्षाभ मेघ, 2. कपासी मेघ, 3. स्तरी मेघ, 4. वर्षा मेघ।

Question - 9 : - विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।

Answer - 9 : -

विश्व में वर्षा का वितरण सभी स्थानों पर समान नहीं है। धरातल की बनावट, जलवायु एवं पवनों की दिशा पर वर्षा की मात्रा परिवर्तित होती रहती है। विश्व में वर्षा के वितरण की मुख्य विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं

  1. विषुवत् वृत्ते से ध्रुवों की ओर वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है।
  2. विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के आन्तरिक भाग की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है।
  3. विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा सागरीय भागों में वर्षा अधिक होती है क्योंकि वहाँ जलस्रोतों की उपलब्धता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है।
  4. विषुवत् वृत्त से 35 से 40° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य पूर्वी तटों पर बहुत अधिक वर्षा होती है तथा पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
  5. विषुवत् रेखा से 45° तथा 65° उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशों के मध्य पछुवा पवनों के कारण सबसे पहले महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर तथा फिर पूर्व की ओर घटती हुई दर से वर्षा होती है।
  6. विश्व में जहाँ पर्वत तट के समानान्तर हैं, वहाँ वर्षा की मात्रा पवनाभिमुख तटीय मैदानों में अधिक | होती है जबकि प्रतिपवने दिशा की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
  7. वार्षिक वर्षण के आधार पर वर्षा की कुल मात्रा के आधार पर विश्व में अधिक वर्षा के क्षेत्र | भूमध्य रेखा के निकट, मध्यम वर्षा के क्षेत्र 30° से 60° अक्षांश दोनों गोलार्द्ध में तथा कम वर्षा के क्षेत्र ध्रुवीय पेटी में स्थित हैं।

Question - 10 : - संघनन के कौन-कौन से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।

Answer - 10 : -

जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। वास्तव में ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है। संघनन के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं
(i) ओस, (ii) तुषार, (ii) कुहासा, (iv) बादल।
ओस-जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केन्द्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु; जैसेपत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों की ठण्डी सतह पर पानी के सूक्ष्म कणों के रूप में एकत्र हो जाती है। तो उसे ओस कहते हैं। ओस के बनने के लिए यह आवश्यक है कि ओसांक जमाव बिन्दु से ऊपर हो। ओस के बनने में साफ आकाश, शान्त हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठण्डी एवं लम्बी रातें उपयुक्त दशाएँ मानी जाती हैं।

तुषार-तुषार या पाला अथवा हिमकण भी संघनने प्रक्रिया का ही परिणाम है। जब संघनन क्रिया के समय भूमि के निकट की वायु का तापमान हिमांक बिन्दु (0°C) तक नीचे गिर जाता है तो पौधों एवं भूमि की सतह पर उपस्थित जल जमने लगता है, यही तुषार या पाला कहलाता है। सफेद तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त दशाएँ ओस के बनने की दशाओं के समान हैं, किन्तु इसमें केवल हवा का तापमान जमाव बिन्दु पर या उससे नीचे होना आवश्यक है।

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