Question -
Answer -
भूकम्पलेखी यन्त्र पर दूरस्थ स्थानों से आने वाली भूकम्पीय तरंगों का अभिलेखन होता है। किन्तु कुछ क्षेत्र ऐसे भी होते हैं जहाँ कोई भी तरंग अभिलेखित नहीं होती है। ऐसे क्षेत्र को भूकम्पीय छाया क्षेत्र कहते हैं। यह देखा जाता है कि भूकम्पलेखीय भूकम्प अधिकेन्द्र में 105° के अन्दर किसी भी दूरी तक ‘P’ व ‘s’ दोनों ही तरंगों का लेखन करते हैं। किन्तु अधिकेन्द्र से 145° से परे केवल ‘P’ तरंगों की पहुँचना ही अंकित होता है ‘s’ तरंगों का नहीं। अत: वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकम्प अधिकेन्द्र से 105° और 145° के मध्य का क्षेत्र दोनों प्रकार की तरंगों के लिए छाया क्षेत्र होता है। (परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर में लघु उत्तरीय प्रश्न सं० 2 के अन्तर्गत चित्र 3.4 देखें)