Question -
Answer -
कायान्तरित शैल क्या है? इनके प्रकार एवं निर्माण की पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर-कायान्तरित का अर्थ हैं—रूप में परिवर्तन; अत: ऐसी आग्नेय एवं परतदार चट्टानें जिनका धरातल के नीचे ताप या दाब वृद्धि के कारण रूप बदल जाता है, कायान्तरित शैलें कहलाती हैं। इस प्रकार कायान्तरित चट्टानों का निर्माण पूर्व चट्टान के आयतन, दाब व तापमान में परिवर्तन के कारण होता है। उदाहरण के लिए, आग्नेय और तलछटी शैलों का उष्मा, संपीडन और विलियन द्वारा परिवर्तन होता है। संगमरमर, स्लेट और ग्रेफाइट इसी के द्वारा उत्पन्न कायान्तरित चट्टानें हैं। इन चट्टानों के रूप, रंग और। आकार में इतना परितर्वन हो जाता है कि इनके मूल रूप की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
कायान्तरित चट्टानों के प्रकार
कायान्तरित चट्टानें रूप-परिवर्तन के परिणामस्वरूप निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं
1. गतिक कायान्तरित शैल-जब मूल चट्टान अत्यधिक दाब के कारण रूपान्तरित हो जाती है तो उसे गति कायान्तरित शैल कहते हैं। इस प्रकार से निर्मित कायान्तरित शैलों में ग्रेनाइट से नाईस तथा मिट्टी से शैल, शिष्ट आदि प्रमुख चट्टानें हैं।
2. तापीय कायान्तरित शैल-जब भूपर्पटी में अत्यधिक उष्मा के प्रभाव से अवसादी अथवा आग्नेय चट्टानों के खनिजों में रवों का पुनर्निर्माण या रूप परिवर्तन होता है तो उसे तापीय कायान्तरित शैल कहते हैं। इसे स्पर्श रूपान्तरित शैल भी कहते हैं। इस रूपान्तरण से चूना-पत्थर संगमरमर में, बालू क्वार्ट्जाइट में तथा चिकनी मिट्टी स्लेट में और कोयला ग्रेफाइट में बदल जाता
3. क्षेत्रीय/प्रादेशिक कायान्तरित शैल-इस स्थिति में बहुत गहराई पर ताप में हुई वृद्धि और भूसंचरण का दाब एक साथ मिलकर किसी बड़े क्षेत्र पर एक साथ कार्य करता है तो पूरे क्षेत्र की चट्टानों का रूपान्तरण हो जाता है। इसी से क्षेत्रीय अथवा प्रादेशिक कायान्तरित शैल बनती हैं।