Question -
Answer -
प्रवाहित जल महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक अभिकर्ता है। इसका कार्य आर्द्र एवं शुष्क जलवायु प्रदेशों में विशेष रूप से प्रभावशाली रहता है। आर्दै प्रदेशों में जहाँ अत्यधिक वर्षा होती है, प्रवाहित जल सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक होता है जो धरातल के निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी होता है। आर्द्र क्षेत्रों में प्रवाहित जल अधिक वर्षा के कारण चादर के रूप में प्रवाहित होता है, इसके अतिरिक्त वह निर्धारित नदी धारा के रूप में भी प्रवाहित होकर अपना अपरदन, परिवहन एवं निक्षेपण कार्य पूरा करता है। प्रवाहित जल अपरदन कार्य युवावस्था में अधिक तीव्रता में करता है इस अवस्था में नदी का जल तीव्र ढाल पर बहने के कारण जल प्रपात एवं छोटे झरनों का निर्माण करता है तथा नदी घाटी के विकास में संलग्न रहता है। प्रौढ़ावस्था में प्रवाहित जल निक्षेपण स्थलाकृतियों को जन्म देता है। नदी जल का कार्य उन क्षेत्रों में भी महत्त्वपूर्ण होता है जहाँ जलवायु अपेक्षाकृत शुष्क होती है। यहाँ धरातल पर प्रवाहित जल से रिल बनती है, उनसे अवनालिकाएँ तथा घाटियों का भी विकास होता है।