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Question -

यह चर्चा एक कक्षा में चल रही थी। विभिन्न तर्को को पढे और बताएँ कि आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों?
जएश – मैं अब भी मानता हूँ कि हमारा संविधान एक उधार का दस्तावेज है।
सबा – क्या तुम यह कहना चाहते हो कि इसमें भारतीय कहने जैसा कुछ है ही नहीं? कया
मूल्यों और विचारों पर हम ‘भारतीय’ अथवा ‘पश्चिमी’ जैसा लेबल चिपको सकते हैं? महिलाओं और पुरुषों की समानता का ही मामला लो। इसमें पश्चिमी’ कहने जैसी क्या है? और, अगर ऐसा है भी तो क्या हम इसे महज पश्चिमी होने के कारण खारिज कर
जएश – मेरे कहने का मतलब यह है कि अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ने के बाद क्या हमने उनकी संसदीय शासन की व्यवस्था नहीं अपनाई?
नेहा – तुम यह भूल जाते हो कि जब हम अंग्रेजों से लड़ रहे थे तो हम सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ थे। अब इस बात का, शासन की जो व्यवस्था हम चाहते हैं उसको अपनाने में कोई लेना-देना नहीं, चाहे यह जहाँ से भी आई हो।



Answer -

उपर्युक्त वाक्यों में प्रस्तुत जएश व नेह्य के मध्य के विचार-विमर्श का अध्ययन करने के उपरान्त यह कहा जा सकता है कि दोनों ही ठीक हैं। जएश का कथन यही है कि हमारा संविधान उधार का दस्तावेज है क्योंकि हमने अनेक बातें विदेशी संविधानों से ली थीं। सबा का कथन भी सही है कि भारतीय संविधान में सभी कुछ विदेशी नहीं है। इसमें हमारी प्रथाओं, परम्पराओं व इतिहास का प्रभाव है।

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