Question -
Answer -
जापान का संविधान उस समय बनाया गया था जब वह अमेरिकी सेना के कब्जे में था। अतः जापान के संविधान में की गई व्यवस्थाएँ अमेरिकी सरकार की इच्छाओं को ध्यान में रखकर की गई थीं। जापान तत्कालीन परिस्थितियों में अमेरिकी सरकार की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकता था। इसका मूल कारण यह था कि अधिकांश देशों के संविधान लिखित थे। इन लिखित संविधानों में राज्य से सम्बद्ध विषयों पर अनेक प्रावधान किए जाते थे जो यह निर्देशित करते थे कि राज्य किन सिद्धान्तों का पालन करते हुए सरकार चलाएगा। सरकार कौन-सी विचारधारा अपनाएगी। किन्तु जब किसी देश पर कोई दूसरा देश कब्जा कर लेता है तो उस देश के संविधान में शासक देश की इच्छाओं के विपरीत कोई प्रावधान नहीं किया जा सकता। अतः यहाँ निष्कर्ष रूप में कहना होगा कि जापान के तत्कालीन संविधान में अमेरिकी शासकों के हितों का विशेष ध्यान रखा गया होगा।
भारत की स्थिति जापान की स्थिति के ठीक विपरीत थी। भारत अपनी स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए अन्तिम लड़ाई लड़ रहा था और यह लगभग निश्चित हो चुका था देश को आजादी अवश्य प्राप्त होगी। भारतीय संविधान की रचना पर औपचारिक रूप से एक संविधान सभा ने दिसम्बर, 1946 में विचार करना शूरू किया था; अर्थात् आजादी प्राप्त होने से केवल नौ माह पूर्व भारत के लिए एक संविधान बनाने की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी थी। भारत पर अंग्रेजों का नियन्त्रण लगभग समाप्ति के कगार पर था; अतः भारतीय संविधान में अंग्रेजों के दबाव के कारण कोई प्रावधान स्वीकार करना असम्भव था।
भारत ने लोकतन्त्रीय शासन व्यवस्था को अपनाया। उसने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के दिनों में जिन समस्याओं का अनुभव किया था, उनके समाधान का मार्ग ढूंढ़ने का प्रयास किया। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि भारतीय संविधान बनाने वाली संविधान सभा ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के लम्बे समय तक चले संघर्ष से काफी प्रेरणा ली। संविधान सभा के सदस्यों को समाज के सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त था। इसीलिए देश में भारतीय संविधान को अत्यधिक सम्मान प्राप्त हुआ। संविधान की प्रस्तावना के प्रारम्भिक शब्द हैं “हम, भारत के लोग ……….|” ये शब्द यह घोषित करते हैं कि भारत के लोग संविधान के निर्माता हैं। यह ब्रिटेन की संसद का उपहार नहीं है। इसे भारत के लोगों ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से पारित किया था। संविधान सभा में सभी प्रकार के विचारों वाले लोग थे। इस संविधान सभा का गठन उन लोगों के द्वारा हुआ था जिनके प्रति लोगों की अत्यधिक विश्वसनीयता थी। इस प्रकार भारत में संविधान बनाने का अनुभव बिल्कुल अलग है।