Question -
Answer -
बहुल समाज में सभी वर्गों के विकास के लिए वे उनके हितों की रक्षा के लिए प्रजातन्त्रीय संघीय शासन-प्रणाली आवश्यकता है। संघीय ढाँचे का निर्माण संविधान की योजना के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए।
संघीय शासन-प्रणाली की प्रमुख विशेषता केन्द्र व राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन से है। संघ का निर्माण संघीय सिद्धान्तों के आधार पर होना चाहिए जिसमें संघ राज्यों की मर्जी पर आधारित होना चाहिए।, प्रान्तीय व क्षेत्रीय विषयों पर राज्यों का ही नियन्त्रण रहना चाहिए। संघ के पास केवल राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषय होने चाहिए। रक्षित शक्तियाँ राज्यों के पास होनी चाहिए। राज्यों की केन्द्र पर निर्भरता कम-से-कम होनी चाहिए। राज्यों के स्रोतों को राज्यों के विकास के लिए अधिक-से-अधिक उपयोग होना चाहिए। केन्द्र व राज्यों में आर्थिक स्रोतों का विभाजन विवेकपूर्ण आधार पर होना चाहिए।
राज्यपाल राज्यों का संवैधानिक मुखिया कहलाता है जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति राज्यपालों की नियुक्ति केन्द्र सरकार की सलाह पर करता है। राज्यपाल का पद राज्यों में महत्त्वपूर्ण पद है जो संवैधानिक मुखिया के साथ-साथ केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। राज्यपाल के पद की इस स्थिति के कारण इसका राजनीतिकरण हो गया है। अतः संघीय व्यवस्था की सफलता के लिए आवश्यक है कि इस पद का दुरुपयोग न हो व राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों के मुख्यमन्त्रियों का परामर्श लिया जाना चाहिए व इस पद पर योग्य व निष्पक्ष व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए।