Question -
Answer -
सामान्य श्वासोच्छ्वास (breathing) या श्वासन अनैच्छिक होता है। इसमें पसलियों की गति की भूमिका 25% और डायफ्राम की भूमिका 75% होती है।
अन्तःश्वास या प्रश्वसन (Inspiration) :
सामान्य स्थिति में अन्त:श्वास में गुम्बदनुमा डायफ्राम पेशियों में संकुचन के कारण चपटा सा हो जाता है। डायफ्राम की गति के साथ बाह्य अन्तरापर्शक पेशियों (external intercostal muscles) में संकुचने से पसलियाँ सीधी होकर ग्रीवा की तथा बाहर की तरफ खिंचती है। इससे उरोस्थि (sternum) ऊपर और आगे की ओर उठ जाती है। इन गतियों के कारण वक्षगुहा का आयतन बढ़ जाता है और फेफड़े फूल जाते हैं। वक्ष गुहा और फेफड़ों में वृद्धि के कारण वायुकोष्ठकों या कूपिकाओं (alveoli) में वायुदाब लगभग 1 से 3mm Hg कम हो जाता है। इसकी पूर्ति के लिए वायुमण्डलीय वायु श्वास मार्ग से कूपिकाओं में पहुँच जाती है। इस क्रिया को अन्तःश्वास कहते हैं। इसके द्वारा मनुष्य (अन्य स्तनी) वायु ग्रहण करते हैं।