Question -
Answer -
वाष्पोत्सर्जन
पौधों के वायवीय भागों से होने वाली जल हानि को वाष्पोत्सर्जन (transpiration) कहते हैं। यह सामान्यतया रन्ध्र (stomata) द्वारा होता है। उपचर्म (cuticle) तथा वातारन्ध्र (lenticel) इसमें सहायक होते हैं। रन्ध्र रक्षक द्वार कोशिकाओं (guard cells) से घिरा सूक्ष्म छिद्र होता है। रक्षक द्वार कोशिकाएँ सेम के बीज या वृक्क के आकार की होती हैं। ये चारों ओर से बाह्य त्वचीय कोशिकाओं अथवा सहायक कोशिकाओं से घिरी रहती हैं। रक्षक द्वार कोशिका में केन्द्रक तथा हरितलवक (chloroplast) पाए जाते हैं। रक्षक द्वार कोशिका की भीतरी सतह मोटी भित्ति वाली तथा बाह्य सतह पतली भित्ति वाली होती है।
रन्ध्र को खुलना या बन्द होना रक्षक द्वार कोशिकाओं की स्फीति (turgidity) पर निर्भर करता है। जब रक्षक कोशिकाएँ स्फीति होती हैं तो रन्ध्र खुला रहता है और जब ये श्लथ (flaccid) होती हैं तो रन्ध्र बन्द हो जाते हैं। रन्ध्र के खुलने में रक्षक कोशिका की भित्तियों में उपस्थित माइक्रोफाइब्रिल सहायता करते हैं। ये अरीय क्रम में व्यवस्थित रहते हैं। सामान्यतया रन्ध्र दिन के समय खुले रहते हैं। औ रात्रि के समय बन्द हो जाते हैं।