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Question -

वर्गीकरण की पद्धतियों में समय के साथ आए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।



Answer -

वर्गीकरण पद्धति (classification system) जीवों को उनके लक्षणों की समानता और असमानता के आधार पर समूह तथा उपसमूहों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। प्रारम्भिक पद्धतियाँ कृत्रिम थीं। उसके पश्चात् प्राकृतिक तथा जातिवृतीय वर्गीकरण पद्धतियों का विकास हुआ।
1. कृत्रिम वर्गीकरण पद्धति (Artificial Classification System) :
इस प्रकार के वर्गीकरण में वर्षी लक्षणों (vegetative characters) या पुमंग (androecium) के आधार पर पुष्पी पौधों का वर्गीकरण किया गया है। कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) ने पुमंग के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत किया था। परन्तु, कृत्रिम लक्षणों के आधार पर किए गए वर्गीकरण में जिन पौधों के समान लक्षण थे उन्हें अलग-अलग तथा जिनके लक्षण असमान थे उन्हें एक ही समूह में रखा गया था। यह वर्गीकरण की दृष्टि से सही नहीं था।ये वर्गीकरण आजकल प्रयोग नहीं होते।
2. प्राकृतिक वर्गीकरण पद्धति (Natural Classification System) :
प्राकृतिक वर्गीकरण पद्धति में पौधों के सम्पूर्ण प्राकृतिक लक्षणों को ध्यान में रखकर उनका वर्गीकरण किया जाता है। पौधों की समानता निश्चित करने के लिए उनके सभी लक्षणों—विशेषतया पुष्प के लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। इसके अतिरिक्त पौधों की आंतरिक संरचना, जैसे शारीरिकी. भ्रौणिकी एवं फाइटोकेमेस्ट्री (phytochemistry) आदि को भी वर्गीकरण करने में सहायक माना जाता है। आवृतबीजियों का प्राकृतिक लक्षणों पर आधारित वर्गीकरण जॉर्ज बेन्थम (George Bentham) तथा जोसेफ डाल्टन हूकर (Joseph Dalton Hooker) द्वारा सम्मिलित रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे उन्होंने जेनेरा प्लेंटेरम (Generg Plantarum) नामक पुस्तक में प्रकाशित किया। यह वर्गीकरण प्रायोगिक (practical) कार्यों के लिए अत्यन्त सुगम तथा प्रचलित वर्गीकरण है।
3. जातिवृत्तीय वर्गीकरण पद्धति (Phylogenetic Classification System) :
इस प्रकार के वर्गीकरण में पौधों को उनके विकास और आनुवंशिक लक्षणों को ध्यान में रखकर वर्गीकृत किया गया है। विभिन्न कुलों एवं वर्गों को इस प्रकार व्यवस्थित किया गया है जिससे उनके वंशानुक्रम का ज्ञान हो। इस प्रकार के वर्गीकरण में यह माना जाता है कि एक प्रकार के टैक्सा (taxa) का विकास एक ही पूर्वजों (ancestors) से हुआ है। वर्तमान में हम अन्य स्रोतों से प्राप्त सूचना को वर्गीकरण की समस्याओं को सुलझाने में प्रयुक्त करते हैं। जैसे कम्प्यूटर द्वारा अंक और कोड का प्रयोग, क्रोमोसोम्स का आधारे, रासायनिक अवयवों का भी उपयोग पादप वर्गीकरण के लिए किया गया है।

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