Question -
Answer -
गैसीय विनिमय मनुष्य के फेफड़ों में लगभग 30 करोड़ वायु कोष्ठक या कूपिकाएँ (alveoli) होते हैं। इनकी पतली भित्ति में रक्त केशिकाओं को घना जाल फैला होता है। श्वासनाल (trachea), श्वसनी (bronchus), श्वसनिका (bronchiole), कूपिका नलिकाओं (alveolar duct) आदि में रक्त केशिकाओं का जाल फैला हुआ नहीं होता। इनकी भित्ति मोटी होती है। अत: कूपिकाओं (alveoli) को छोड़कर अन्य श्वसन भागों में गैसीय विनिमय नहीं होता। सामान्यतया ग्रहण की गई 500 मिली प्रवाही वायु में से लगभग 350 मिली कूपिकाओं में पहुँचती है, शेष श्वास मार्ग में ही रह जाती है। वायु कोष्ठकों की भित्ति तथा रक्त केशिकाओं की भित्ति मिलकर श्वसन कला (respiratory membrane) बनाती हैं। इससे O2 तथा C का विनिमय सुगमता से हो जाता है। गैसीय विनिमय सामान्य विसरण द्वारा होता है। इसमें गैसें उच्च आंशिक दबाव से कम आंशिक दबाव की ओर विसरित होती हैं। वायुकोष्ठकों में O2 का आंशिक दबाव 100 -104 mm Hg और CO2) को आंशिक दबाव 40 mm Hg होता है। फेफड़ों में रक्त केशिकाओं में आए अशुद्ध रुधिर में 0 का आंशिक दबाव 40 mm Hg और CO2) का आंशिक दबाव 45-46 mm Hg होता है।
ऑक्सीजन वायुकोष्ठकों की वायु से विसरित होकर रक्त में जाती है और रक्त से CO2 विसरित होकर वायुकोष्ठकों की वायु में जाती है। इस प्रकार वायुकोष्ठकों से रक्त ले जाने वाली रक्त केशिकाओं में रक्त ऑक्सीजनयुक्त (Oxygenated) होता है। फेफड़ों से निष्कासित वायु में O2 लगभग 15.7% और CO2 लगभग 3.6% होती है।