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Question -

उत्सर्जन में यकृत, फुफ्फुस तथा त्वचा का महत्त्व बताइए।



Answer -

मनुष्य तथा अन्य कशेरुकियों में वृक्क के अतिरिक्त यकृत, फुफ्फुस तथा त्वचा का उत्सर्जन में महत्त्व है। ये सहायक उत्सर्जी अंगों की तरह कार्य करते हैं।

(i) यकृत (Liver) :
यकृत अमोनिया को यूरिया में बदलता है। यूरिया अमोनिया की तुलना में कम हानिकारक होता है। यकृत कोशिकाएँ हीमोग्लोबिन के विखण्डन से पित्त वर्णक बिलिरुबिन (bilirubin), बिलिवर्डिन (biliverdin) बनाती हैं। इसके अतिरिक्त पित्त में उत्सर्जी पदार्थ कोलेस्टेरॉल (cholesterol),कुछ निम्नीकृत स्टीरॉयड हॉर्मोन्स, औषधियाँ आदि होती हैं। ये उत्सर्जी पदार्थ यकृत के पित्त द्वारा ग्रहणी में पहुँच जाते हैं और मल के साथ शरीर से त्याग दिए जाते हैं।

(ii) फुफ्फुस (Lungs) :
श्वसन क्रिया के फलस्वरूप मुक्त CO2 (18 L/day) एवं जलवाष्प फेफड़ों (फुफ्फुस) द्वारा शरीर से निष्कासित होती है।

(iii) त्वचा (Skin) :
जलीय प्राणियों में अमोर्निया का उत्सर्जन त्वचा द्वारा होता है। स्थलीय जन्तुओं, में त्वचा की स्वेद ग्रन्थियों (sweat glands) द्वारा जल, खनिज तथा सूक्ष्म मात्रा में यूरिया, लैक्टिक अम्ल आदि पसीने के रूप में उत्सर्जित होता है। त्वचा की तेल ग्रन्थियाँ (oilglands) सीबम (sebum) के साथ कुछ हाइड्रोकार्बन्स, मोम (wax), स्टेरॉल(sterol), वसीय अम्ल (fatty acids) आदि उत्सर्जित होते हैं।

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