Question -
Answer -
गुणसूत्र बिन्दु
प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्धगुणसूत्र या क्रोमेटिड्स (chromatids) से बना होता है। क्रोमेटिड्स पर क्रोमोमीयर्स (chromomeres) स्थित होते हैं। गुणसूत्र के दोनों क्रोमेटिड्स गुणसूत्र बिन्दु या सेन्ट्रोमीयर (centromere) द्वारा परस्पर जुड़े होते हैं। गुणसूत्र बिन्दु की स्थिति के आधार पर गुणसूत्रे निम्नलिखित प्रकार के होते हैं
1. अन्तकेन्द्री (Telocentric) :
इसमें गुणसूत्र बिन्दु गुणसूत्र के एक ओर स्थित होता है।
2. अग्र बिन्दु (Acrocentric) :
इसमें गुणसूत्र का एक भाग बहुत छोटा तथा दूसरा भाग बहुत बड़ा होता है। इसमें गुणसूत्र बिन्दु एक सिरे के पास स्थित होता है।
3. उपमध्य केन्द्री (Submetacentric) :
इसमें गुणसूत्र बिन्दु एक किनारे के पास होता है। इसे गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ असमान होती हैं।
4. मध्य केन्द्री (Metacentric) :
इसमें गुणसूत्र बिन्दु गुणसूत्र के बीचों-बीच स्थित होता है। इससे गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ बराबर लम्बाई की होती हैं।
जब गुणसूत्र में गुणसूत्र बिन्दु (centromere) नहीं पाया जाता तो गुणसूत्र को एसेन्ट्रिक (acentric) कहते हैं और जब गुणसूत्र बिन्दु की संख्या दो या अधिक होती है तो इसे डाइसेन्ट्रिक (dicentric) या पॉलीसेन्ट्रिक (polycentric) कहते हैं। कुछ गुणसूत्रों में द्वितीयक संकीर्णन (secondary constriction) पाया जाता है। इस प्रकार के गुणसूत्र को सैट गुणसूत्र (sat-chromosome) कहते हैं।