Question -
Answer -
आज आर्थिक विकास के फलस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का बहुत अधिक शोषण हो रहा है। भूमि पर निरन्तर फसलें उगाने में उसकी उत्पादकता कम होती जा रही है। खनिज पदार्थों; जैसे–पेट्रोल, लोहा, कोयला, सोना-चाँदी आदि का खनन ज्यादा होने से उनके भण्डार में कमी होने लगी है। कारखानों और यातायात के साधनों से निकले धुएँ और गन्दगी न वायु एवं जल को प्रदूषित कर दिया है जिस कारण अनेक श्वसन एवं जल संक्रमित बीमारियों ने जन्म ले लिया है। अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन अवशोषण क्षमता से बाहर हो गया है। तीव्र एवं गहन विदोहन से अनेक प्राकृतिक संसाधन समाप्ति की ओर हैं। पर्यावरण क्षरण से वैश्विक उष्णता एवं ओजोन अपक्षय आदि चुनौतियाँ पैदा हो गई हैं।