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Chapter 6 ग्रामीण विकास Solutions

Question - 11 : -
सरकार द्वारा कृषि विपणन सुधार के लिए अपनाए गए चार उपायों की व्याख्या करें।

Answer - 11 : -

लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या 4 का उत्तर देखिए।

Question - 12 : -
ग्रामीण विविधीकरण में गैर-कृषि रोजगार का महत्त्व समझाइए।

Answer - 12 : -

कृषि क्षेत्र पर जनसंख्या के अत्यधिक बोझ को खत्म करने के लिए ऋणशक्ति को अन्य गैर-कृषि कार्यों में वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की आवश्यकता है। गैर-कृषि रोजगार का महत्त्व इस प्रकार है

  1. इसके द्वारा हमें सिर्फ खेती के आधार पर आजीविका कमाने का जोखिम कम होगा।
  2. इससे निर्धन किसानों की आय में वृद्धि होती है।
  3. यह ग्रामीण क्षेत्रों से निर्धनता उन्मूलन का अच्छा स्रोत है।
  4. गैर-कृषि क्षेत्र में वर्ष भर आय कमाने का रोजगार मिल जाता है।
  5. ये कृषि क्षेत्र में श्रमशक्ति का भार कम करने में सहायक होते हैं।
  6. कृषि कार्यबल को धारणीय जीवन-स्तर जीने के लिए अच्छे स्रोत हैं।

Question - 13 : -
विविधीकरण के स्रोत के रूप में पशुपालन, मत्स्यपालन और बागवानी के महत्त्व पर टिप्पणी करें।

Answer - 13 : -

पशुपालन का महत्त्व

1. मवेशियों के पालन से परिवार की आय में स्थिरता आती है।
2. इससे खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ईंधन, पोषण पूरे परिवार के लिए हासिल हो जाते हैं और खाद्य उत्पादन की अन्य क्रियाओं पर भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
3. यह भूमिहीन कृषकों तथा छोटे व सीमान्त किसानों को आजीविका कमाने का वैकल्पिक साधन है।
4. इस क्षेत्र में महिलाएँ भी बहुत बड़ी संख्या में रोजगार पा रही हैं।
5. यह क्षेत्र अधिशेष कार्यबल को समायोजित कर रहा है।

मत्स्य पालन का महत्त्व

  1. प्रत्येक जलागार; सागर, झीलें, प्राकृतिक तालाब; मत्स्य उद्योग से जुड़े समुदाय के लिए निश्चित जीवन उद्दीपक स्रोत है।
  2. मत्स्य उत्पादन सकल घरेलू उत्पाद का 1.4% है।
  3. समुद्र, झीलों, नदियों, तालाबों के आस-पास रहने वाले लोगों के लिए गैर-कृषि क्रियाकलाप आय का अच्छा स्रोत है।
बागवानी का महत्त्व

  1. बागवानी फसलों से रोज़गार मिलता है।
  2. बागवानी फसलों से भोजन एवं पोषण प्राप्त होता है।
  3. यह क्षेत्र में अधिशेष कार्यबल समायोजित कर रहा है।
  4.  पुष्पारोपण, पौधशाला की देखभाल, फल-फूलों का संवर्द्धन और खाद्य प्रसंस्करण ग्रामीण महिलाओं के लिए अधिक आय वाले रोजगार बन गए हैं।
  5. देश की 19% श्रम शक्ति को इस समय इन्हीं कार्यों से रोजगार मिला हुआ है।

Question - 14 : -
सूचना प्रौद्योगिकी धारणीय विकास तथा खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति में बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान करती है।टिप्पणी करें।

Answer - 14 : -

आज सूचना प्रौद्योगिकी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। धारणीय विकास एवं खाद्य सुरक्षा को हासिल करने में सूचना प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। सूचना प्रौद्योगिकी का योगदान निम्नलिखित है

  1. सूचनाओं और उपयुक्त सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सरकार सहज ही खाद्य असुरक्षा की आशंका | वाले क्षेत्रों का समय रहते पूर्वानुमान लगा सकती है।
  2. इस प्रौद्योगिकी द्वारा उदीयमान तकनीकों, कीमतों, मौसम तथा विभिन्न फसलों के लिए मृदा की दशाओं की उपयुक्तता की जानकारी का प्रसारण हो सकता है।
  3. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन की इसमें क्षमता है।
  4. यह लोगों के लिए ज्ञान एवं क्षमता का सृजन करती है।

Question - 15 : -
जैविक कृषि क्या है? यह धारणीय विकास को किस प्रकार बढ़ावा देती है?

Answer - 15 : -

जैविक कृषि एक धारणीय कृषि प्रणाली है जो भूमि की दीर्घकालीन उपजाऊ शक्ति को बनाए रखती है तथा उच्चकोटि के पौष्टिक खाद्य का उत्पादन करने के लिए भूमि के सीमित संसाधनों का कम उपयोग करती है। भारत में परम्परागत कृषि पूरी तरह से रासायनिक उर्वरकों और विषजन्य कीटनाशकों पर आधारित है। ये विषाक्त तत्त्व हमारी खाद्य पूर्ति व जल स्रोतों में नि:सरित हो जाते हैं और हमारे पशुधन को हानि पहुँचाते हैं। साथ ही इसके कारण मृदा की उर्वरता भी क्षीण हो जाती है और हमारे प्राकृतिक पर्यावरण का विनाश हो जाता है। दूसरी ओर जैविक कृषि में रसायनों का प्रयोग प्रतिबंधित होता है। इसमें कृषि में महँगे बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाइयों की जगह स्थानीय आगतों का प्रयोग किया जाता है। अतः इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है और नवीन तकनीक के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलता है।

Question - 16 : -
जैविक कृषि के लाभ और सीमाएँ स्पष्ट करें।

Answer - 16 : -

जैविक कृषि के लाभ

1. जैविक कृषि महँगे आगतों के स्थान पर स्थानीय रूप से बने जैविक आगतों के प्रयोग पर निर्भर होती है।
2. परम्परागत फसलों की तुलना में जैविक फसलों में अधिक मात्रा में गौण मेटाबोलाइट्स पाए जाते
3. जैविक खेतों की मिट्टी में अधिक पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं।
4. निवेश पर अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है।
5. जैविक कृषि में अधिक जैव सक्रियता तथा अधिक जैव विविधता पाई जाती है।
6. यह पद्धति हानिरहित एवं पर्यावरण के लिए मित्र हैं।

जैविक कृषि की सीमाएँ

1. जैविक कृषि अत्यधिक श्रमगहन होती है।
2. जैविक उत्पादन गैर-जैविक से अधिक महँगा होता है।
3. भारतीय किसान जैविक कृषि से अनभिज्ञ हैं तथा उसके प्रति उत्सुक भी नहीं है।
4. इसके लिए आधार संरचना अपर्याप्त है।
5. जैविक उत्पादों के लिए बाजार की कमी है।
6. परम्परागत कृषि की तुलना में जैविक कृषि का उत्पादन औसतन 20% कम होता है।
7. बिना मौसम के फसल उगाने के कम विकल्प हैं।

Question - 17 : -
जैविक कृषि का प्रयोग करने वाले किसानों को प्रारम्भिक वर्षों में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

Answer - 17 : -

जैविक कृषि में संलग्न कृषकों की समस्याएँ जैविक कृषि का प्रयोग करने वाले किसानों को प्रारम्भिक वर्षों में निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है

  1. प्रारम्भिक वर्षों में जैविक कृषि की उत्पादकता रासायनिक कृषि की तुलना में कम रहती है।
  2. छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़े स्तर पर इसे अपनाना कठिन होता है।
  3. जैविक उत्पाद रासायनिक उत्पादों की अपेक्षा शीघ्र खराब हो जाते हैं।
  4. गैर-मौसमी फसलों का जैविक कृषि में उत्पादन बहुत सीमित होता है।

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