Question -
Answer -
प्राचीनकाल में जब सभ्यता शुरू हुई थी, पर्यावरण संसाधनों की माँग और सेवाएँ उनकी पूर्ति से बहुत कम थीं। उस समय आधुनिकीकरण, नगरीकरण एवं औद्योगीकरण की दर भी कम थी। अवशिष्ट पदार्थों का उत्पादन भी पर्यावरण की अवशोषी क्षमता के भीतर था। इसलिए पर्यावरण समस्याएँ उत्पन्न नहीं लेकिन आधुनिक युग में तीव्र जनसंख्या वृद्धि नगरीकरण, आधुनिकीकरण एवं औद्योगीकरण के फलस्वरूप उत्पादन और उपभोग के लिए संसाधनों की माँग संसाधनों के पुन: सृजन की दर से बहुत अधिक हो गई एवं अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन पर्यावरण की अवशोषण क्षमता के बाहर हो गया है। तरह से, पर्यावरण की गुणवत्ता के मामले में माँग-पूर्ति सम्बन्ध पूरी तरह उल्टे हो गए हैं। अब हमारे सामने पर्यावरण संसाधनों और सेवाओं की माँग अधिक है, लेकिन उनकी पूर्ति सीमित है।