Question -
Answer -
हम जानते हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य की देखभाल निजी तथा सामाजिक लाभों को उत्पन्न करती है। इसी कारण इन सेवाओं के बाजार में निजी और सार्वजनिक संस्थाओं को अस्तित्व है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर व्यय महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं और उन्हें आसानी से नहीं बदला जा सकता। इसीलिए सरकारी हस्तक्षेप अनिवार्य है तथा निजी क्षेत्रों के लिए शुल्कों की संरचना निर्धारित करना भी आवश्यक है। मान लीजिए, जब भी किसी बच्चे को किसी स्कूल या फिर स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र में भर्ती कर दिया जाता है, जहाँ बच्चे को आवश्यक सुविधाएँ नहीं प्रदान की जा रही हों तब ऐसी स्थिति में किसी दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण कर देने पर भी पर्याप्त मात्रा में धन का व्यय हो चुका होगा। यही नहीं, इन सेवाओं के व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को सेवाओं की गुणवत्ताओं और लागतों के विषय में पूर्ण जानकारी नहीं होती। इन परिस्थितियों में शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करा रही संस्थाएँ एकाधिकार प्राप्त कर लेती हैं और शोषण करने लगती हैं। इस समय सरकार की भूमिका यह होनी चाहिए कि वह निजी सेवा प्रदायकों को उचित मानकों के अनुसार सेवाएँ देने और उनकी उचित कीमत लेने को बाध्य करे।