Question -
Answer -
धारणीय विकास वंह प्रक्रिया है जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करती है परन्तु भावी पीढ़ी की आवश्यकताएँ पूरी करने की योग्यता को कोई हानि नहीं पहुँचाती। धारणीय विकास की रणनीतियाँ ये चार रणनीतियाँ निम्नलिखित हैं
(1) ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्रोतों का उपयोग-ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत जैसे थर्मल और हाइड्रो पॉवर संयन्त्र; पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। थर्मल पॉवर संयन्त्र बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैस-कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं तथा बड़ी मात्रा में इनसे निकले धुएँ के कण जल एवं वायु को प्रदूषित करते हैं। इसके अतिरिक्त हाइड्रो पॉवर परियोजनाओं से वन जलमग्न हो जाते हैं और नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में हस्तक्षेप करते हैं। अत: इन सब पर्यावरणीय समस्याओं से बचने के लिए हमें गैर-पारम्परिक स्रोत; जैसे-वायु, शक्ति और सौर किरणों का प्रयोग करना चाहिए। .
(2) वायु शक्ति- जिन क्षेत्रों में हवा की गति तीव्र होती है वहाँ पवन चक्की से बिजली प्राप्त की जा | सकती है। ऊर्जा के इस गैर-पारम्परिक स्रोत से पर्यावरण को किसी प्रकार की क्षति नहीं होती है।
(3) ग्रामीण क्षेत्रों में एल०पी०जी व गोबर गैस- गाँवों में रहने वाले लोग अधिकतर ईंधन के रूप में लकड़ी, उपलों और अन्य जैविक पदार्थों का प्रयोग करते हैं जिस कारण वन विनाश, हरित-क्षेत्र में कमी, मवेशियों के गोबर का अप्रत्यय और वायु प्रदूषण जैसे अनेक प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। आज सरकार इस स्थिति में सुधार करने के लिए एल०पी०जी० गैस सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में गोबर गैस संयन्त्र भी लगाए जा रहे हैं। |
(4) शहरी क्षेत्रों में उच्च दाब प्राकृतिक गैस– दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में उच्च दाब प्राकृतिक गैस (CNG) का ईंधन के रूप में प्रयोग होने से वायु प्रदूषण में काफी कमी आई है।