Question -
Answer -
मैं मतादीन भारत से जाने वाला एक गिरमिटिया मजदूर था। मुझे 20वीं सदी के प्रारंभ में गुयाना में 10 साल के अनुबंध के तहत काम के लिए जाना पड़ा। वहाँ से मैंने अपने माता-पिता को एक पत्र लिखा
आदरणीय माताजी-पिताजी,
चरण स्पर्श,
मैं यहाँ पर ठीक हूँ। आशा करता हूँ कि आप सब भी सकुशल होंगे। वैसे तो यहाँ पर रोजगार मिला हुआ है परंतु जिस एजेंट ने मुझे यहाँ भेजा था उसने यहाँ के विषय में पूर्ण जानकारी नहीं दी थी जिससे कि मुझे लम्बी समुद्री यात्रा करनी पड़ेगी, यहाँ काम करने के हालात अच्छे नहीं हैं। उसने मुझे कहा था कि मैं बीच में कुछ दिनों के लिए आपसे मिलने भी आ सकेंगा पर अब वह अपने वादे से मुकर रहा है। अतः मैं आपसे मिलने नहीं आ सकता।
मैं यहाँ पर एक बागान में काम करता हूँ। यहाँ मेरे साथ कुलियों जैसा बर्ताव होता है। यदि कोई यहाँ से भागने की कोशिश करता है और पकड़ा जाता है तो उसके साथ बुरा बर्ताव होता है जिसमें कोई-कोई तो मर भी जाता है। अतः हम लोग यहाँ से भागने का प्रयास नहीं करते।
अब तो बस इसी इंतजार में समय कट रहा है कि हमारे नेता इस घिनौनी अनुबंधित दास प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं।
और हमें आजाद करवाएं। मैं वापस घर आना चाहता हूँ। फिलहाल मैं आपको कुछ पैसे भेज रहा हूं। ये पैसे कम हैं क्योंकि पिछले कुछ दिन बीमार होने के कारण काम नहीं कर सका जिससे मेरे पैसे कट गए और मुझे कम वेतन मिला। पत्र का
जवाब शीघ्र देना।
आपका पुत्र
मतादीन