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Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय (Control and Coordination) Solutions

Question - 11 : -
जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?

Answer - 11 : -

जंतुओं में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन के द्वारा होता है। ये जंतु हार्मोन अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं तथा रक्त के माध्यम से शरीर के उन अंगों तक पहुँच जाते हैं, जहाँ इसकी आवश्यकता होती है।

Question - 12 : -
आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?

Answer - 12 : -

अवटुग्रंथि (Thyroid gland) को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का हमारे शरीर में नियंत्रण करता है। हमारे आहार में आयोडीन की कमी से हमें घंघा रोग (गॉयटर) हो जाता है। अत: थायरॉक्सिन की उचित मात्रा शरीर में बनाए रखने के लिए आयोडीन युक्त नमक भोजन के साथ खाने की सलाह दी जाती है।

Question - 13 : -
जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है, तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?

Answer - 13 : -

  1. एड्रीनली हृदय की धड़कन को बढ़ा देता है, ताकि हमारी मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके।
  2. पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आस-पास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं।
  3. इससे डायाफ्राम तथा पसलियों के सिकुड़ने से श्वसन दर बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।

Question - 14 : -
मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?

Answer - 14 : -

मधुमेह रोग अग्न्याशय द्वारा स्रावित हॉर्मोन इन्सुलिन की कमी के कारण होता है, यह हॉर्मोन रुधिर में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। अतः डॉक्टर रोगी को इन्सुलिन के इंजेक्शन लगवाने की सलाह देता है ताकि रुधिर में शर्करा का स्तर कम किया जा सके।

Question - 15 : -
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हार्मोन है?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(C) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन

Answer - 15 : -

(d) साइटोकाइनिन।

Question - 16 : -
दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं-
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स।
(C) एक्सॉन
(d) आवेग

Answer - 16 : -

(b) सिनेप्स।

Question - 17 : -
मस्तिष्क उत्तरदायी है
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(C) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपरोक्त सभी

Answer - 17 : -

(d) उपरोक्त सभी।

Question - 18 : -
हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहा हो। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?

Answer - 18 : -

ग्राही, हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित एक खास कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से सभी सूचनाएँ ढूंढ निकालती हैं और उन्हें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मेरुरज्जू तथा मस्तिष्क) में पहुँचाती हैं। मस्तिष्क के भाग अग्रमस्तिष्क में विभिन्न ग्राही से संवेदी आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। इसके अलग-अलग क्षेत्र सुनने, सँघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत होते हैं। यदि कोई ग्राही उचित प्रकार कार्य नहीं करेगी तो उस ग्राही द्वारा एकत्र की गई सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी।

उदाहरण-

  1. यदि रेटिना की कोशिका अच्छी तरह कार्य नहीं करेंगी, तो हम देख नहीं पाएँगे तथा अंधे भी हो सकते हैं।
  2. जिह्वा द्वार मीठा, नमकीन आदि स्वाद का पता लगाना संभव नहीं हो पाएगा।

Question - 19 : -
एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।

Answer - 19 : -

न्यूरॉन के कार्य-
  1. सूचना या उद्दीपन एक तंत्रिका कोशिका के दुमिका के सिरे द्वारा प्राप्त की जाती है।
  2. रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा होती है, जो कोशिकाय तक जाता है तथा तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन) में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँचता है।
  3. एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ। रसायनों का विमोचन करता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स को पार करते हैं। और अगली तंत्रिका कोशिका की दुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं।
  4. इसी तरह का एक सिनेप्स अंतत: ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाते हैं। अतः न्यूरॉन एक संगठित जाल का बना होता है, जो सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक संवहन करता है।
  5. उदाहरण के लिए ग्राही संवेदी तंत्रिका कोशिका (Sensory neurons) सूचना ग्रहण कर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचाते हैं तथा यह  आवेग को वापस प्रेरक तंत्रिका कोशिका (Motor neurons) द्वारा पेशी कोशिकाओं या कार्यकर (effectors) तक पहुँचाती है।

Question - 20 : -
पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?

Answer - 20 : -

पादपों में प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़कर तथा जड़े इससे दूर मुड़कर अनुक्रिया करती हैं, जिसे प्रकाशानुवर्तन कहा जाता है। प्रकाश जब पादप की वृद्धि वाले भाग पर पड़ता है, तो वृद्धि हॉर्मोन ऑक्सिन छाया वाले भाग में अधिक मात्रा में एकत्र होकर उसे प्रकाश की आने की दिशा में मोड़ देता है अर्थात् पौधे का तने वाला भाग तथा पत्तियाँ प्रकाश की ओर मुड़ जाती हैं। इससे पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए अधिक से अधिक प्रकाश मिलने लगता है।

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