MENU
Question -

 नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ेः
नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मजदूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसके अर्जी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिये तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ़ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अंदर खाद्य विभाग को एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।

नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माँ पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है?



Answer -

नन्नू का उदाहरण बताता है कि हर नागरिक को अपने अधिकारों का उचित प्रयोग करना चाहिए। सूचना नागरिकों को दिया गया एक महत्वपूर्ण अधिकार है जिसका प्रयोग करके नन्नू जैसा छोटे-से-छोटा व्यक्ति भी न्याय पा सकता है। जब सभी नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे तथा उनका समय पर उपयोग करेंगे तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था ठीक ढंग से काम करेगी।

नन्नू के आवेदन का अधिकारियों पर गहरा असर हुआ और वे एकदम हरकत में आ गए। उन्होंने एक हफ्ते में ही उसका नया राशन कार्ड बना दिया। जिस राशन के दफ्तर मे नन्नू की कोई सनुवाई नहीं थी, उस दफ्तर में बड़े अधिकारी उससे मिले तथा पूरा सम्मान दिया और उससे आवेदन वापस लेने का निवेदन भी किया।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×