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Question -

व्याख्या करें

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?
(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
(घ) गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?



Answer -

(क) आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी। क्योंकि

  1. औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ़ संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे।
  2. उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था।
  3. वियतनाम, चीन, बर्मा, भारत और लैटिन तथा अफ्रीकी देशों में राष्ट्रीय आंदोलन उनके सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक शोषण के कारण प्रारंभ हुए। इनमें राष्ट्रीय भावनाओं का विकास हुआ तथा उन्होंने उपनिवेशवाद को पूरे विश्व से हटा दिया।
इस कारण राष्ट्रवाद का उदय उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के कारण हुआ। उपनिवेशिक देश उपनिवेशवाद का विरोध करने के लिए एकजुट हुए, औपनिवेशिक शासन का विरोध किया तथा अपने देश के हित के लिए एकजुट होकर लड़े। इससे राष्ट्रवाद को पनपने में मदद मिली।
(ख) प्रथम विश्वयुद्ध 1 अगस्त 1914 ई० में मित्रराष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, जापान, अमेरिका) तथा धुरी राष्ट्रों (आस्ट्रिया-हंगरी, जर्मनी, तुर्की, इटली) के मध्य प्रारंभ हुआ। इसका भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन पर व्यापक प्रभाव पड़ा, जो इस प्रकार है –

  1. भारतीयों का विश्व से संपर्क – इस युद्ध में सैनिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए बड़ी संख्या में भारतीयों को सेना में भर्ती किया गया। जब वे युद्ध क्षेत्रों में गए तो वहां से मिले अनुभवों का उनपर प्रभाव पड़ा, और उनमें आत्मविश्वास जागा। उन्होंने यह भी जाना कि स्वतंत्र वातावरण और लोकतंत्रीय संगठन क्या होते हैं? अत: वे ऐसी ही स्थिति भारत में भी विकसित या स्थापित करने के लिए तत्पर हो गए।
  2. आर्थिक प्रभाव – युद्ध के कारण ब्रिटेन की रक्षा व्यय बढ़ गया। इसे पूरा करने के लिए उसने अमेरिका जैसे देशों से कर्जे लिए। इन कर्जी को चुकाने के लिए भारतीयों पर सीमा शुल्क और अन्य टैक्स बढ़ा दिए। इस कारण भारतीयों पर आर्थिक दबाव बढ़ा । इसी समय कीमतें भी बढ़ जाने से भारतीयों की आम आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई। अत: आम भारतीय जनता अंग्रेजी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गई।
  3. सांप्रदायिक एकता – ‘खलीफा’ के प्रश्न पर सभी मुसलमान अंग्रेजों के विरूद्ध हो गए। जब गांधी जी ने अली बंधुओं के सहयोग के लिए खिलाफत आंदोलन प्रारंभ किया तो हिंदु-मुस्लिम एकता को बल मिला। साथ ही 1916 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के मध्य “लखनऊ समझौता” हो गया। इस कारण भारत में सांप्रदायिक एकता को मजबूत आधार प्राप्त हुआ और राष्ट्रवादी आंदोलन का जनाधार बढ़ा।
  4. प्राकृतिक संकट – 1918-21 ई० के मध्य भारत में अकाल, सूखा, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ पड़ीं जिनमें सरकार का रवैया असहयोग पूर्ण था। आम जनता महामारियों का शिकार हो रही थी, और सरकार इनसे निपटने के लिए कोई खास प्रयास नहीं कर रही थी। इस कारण भारतीय अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध एकजुट हो गए।
  5. डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट – 1915 ई० में अंग्रेजी सरकार ने क्रांतिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए ‘डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट’ पास किया। यह एक दमनकारी एक्ट था। इसने क्रांतिकारी आंदोलन को दबाने के बजाए और तीव्र कर दिया जिससे आम जनता में भी राष्ट्रवादी भावनाएं पनपी। इस प्रकार प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
(ग) भारत में रॉलट एक्ट का विरोध :

  1. 1918 ई० में अंग्रेजी सरकार ने ‘रॉलट’ की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की जिसका उद्देश्य भारत में क्रांतिकारी आंदोलन को रोकने के लिए कानून बनाना था।
  2. इस समिति ने दो कानून बनाए जिनके द्वारा सरकार को स्वतंत्रता आंदोलन का दमन करने के लिए असीमित अधिकार मिल गए। इनका प्रमुख कानून था-सरकार राजनैतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए जेल में दो साल के लिए कैद कर सकती है। भारतीयों ने इसे ‘काला कानून’ कहा तथा इसके विरोध में हड़ताल व प्रदर्शन किए।
  3. गांधी जी ने भी इसके विरुद्ध आंदोलन प्रारंभ करने का आह्वान किया। उनका यह विरोध अंततः असहयोग आंदोलन के रूप में प्रकट हुआ।
(घ) 5 फरवरी 1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा नामक जगह पर बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। आंदोलनकारियों ने कुछ पुलिसवालों को थाने में बंदकर आग लगा दी। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गांधी ने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन रोकने का आह्वान किया। उनको लगा था कि आंदोलन हिंसक होता जा रहा था।

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