Question -
Answer -
वियतनाम में साम्राज्यवादी विरोधी संघर्ष में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बहुत बड़ी संख्या में महिलाएँ प्रतिरोध आंदोलन में शामिल हो गईं। वे घायलों की मरहम पट्टी करने, भूमिगत कमरे व सुरंगे बनाने और दुश्मनों से मोर्चा लेने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगीं। उन्होंने छह हवाई पटियाँ बनाई, दस हजार बमों को बेकार किया, हजारों किलो माल ढोया, हथियार व गोला बारुद की सप्लाई जारी रखी और और 15 जहाजों को मार गिराया। 1965-75 के दौरान इस मार्ग पर चलने वाले युवाओं में 70-80 प्रतिशत लड़कियाँ थीं। एक सैनिक इतिहासकार के अनुसार वियतनामी सेना में 15 लाख महिलाएँ थीं। इन सबने इस संघर्ष में अद्वितीय साहस का परिचय दिया था।
राष्ट्रवादी भारतीय महिलाओं की वियतनामी राष्ट्रवादी महिलाओं से तुलना – भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। परंतु इनके विरोध के तरीके वियतनामी महिलाओं से भिन्न थे। जैसे –
1857 के विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध में सम्मिलित होकर और लखनऊ की बेगम ज़ीनत महल ने महल में ही रहकर अपनी सेना का नेतृत्व किया।
भारतीय महिलाओं ने युद्धों की बजाए जन आंदोलनों में अधिक सक्रिय भूमिका निभाई, जैसे-होमरूल आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन आदि।
भारतीय महिलाओं के संघर्ष का तरीका शांतिपूर्ण विरोध करने का था। धरने पर बैठना और जलसों के आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना आदि उनका प्रमुख कार्य था।
यद्यपि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं ने शांतिपूर्ण मार्ग अपनाकर अपना विरोध ब्रिटिश शासन के प्रति प्रकट | किया, परंतु जब आज़ाद हिंद फौज का सुभाषचंद्र बोस जी ने गठन किया तो भारतीय महिलाएं इसमें भी भर्ती हुईं। इस प्रकार भारतीय महिलाओं ने शांतिपूर्ण विरोध के मार्ग को अधिक अपनाया था।