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Question -

औपनिवेशिक भारत में उपन्यास किस तरह औपनिवेशकारों और राष्ट्रवादियों, दोनों के लिए लाभदायक था?



Answer -

औपनिवेशिक भारत में जो उपन्यास लिखे गए उन्होंने उपनिवेशिकों और राष्ट्रवादियों की इस प्रकार से मदद की

1. उपनिवेशिकों के लिए

  1. उन्हें देशी जीवन व रीति-रिवाजों से संबंधित जानकारी मिली।
  2. भारत के विभिन्न समुदायों व जातियों पर शासन करने संबंधी जानकारी मिली।
  3. उपन्यासों से उन्हें भारतीय घरों के परंपरागत स्वरूप का पता चला।
  4. जब इन उपन्यासों को अंग्रेज प्रशासकों व ईसाई मिशनरियों ने पढ़ा तो उन्होंने भारतीयों को कमजोर, आपस में लड़ने वाले और अंग्रेजों पर निर्भर बताया।
2. भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए

  1. इन उपन्यासों द्वारा कल्पित राष्ट्र को शक्तिशाली बताया गया, जिसके निर्माण के लिए असली राजनैतिक आंदोलन प्रारंभ हुए।
  2. आनंदमठ (1882) में हिंदू सैन्य संगठन की कहानी है जो हिंदू साम्राज्य की स्थापना के लिए मुसलमानों से लड़ता है। इससे स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा मिली।
  3. इसका गीत ‘वंदे मातरम्’ काफी लोकप्रिय हुआ। इस गीत ने स्वतंत्रता सेनानियों में नवीन आशा का संचार किया।
  4. इन उपन्यासों ने जिन सामाजिक कुरीतियों को उठाया उनके प्रति समाज में चेतना जागृत हुई और समाज सुधार के प्रयास प्रारंभ हुए।
  5. इन उपन्यासों द्वारा भारत के प्राचीन गौरव आदि का महिमा मंडन किया गया जिससे आम लोगों में राष्ट्रीय गौरव और स्वयं के प्रति आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई। इनके नायक पूरे राष्ट्र के ‘राष्ट्रीय नायक’ बन गए।

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