Question -
Answer -
1921 में असहयोग आंदोलन में भारत के विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया लेकिन हरेक की अपनी-अपनी आकांक्षाएँ थीं। आंदोलन में शामिल प्रमुख सामाजिक समूह निम्नलिखित थे-शिक्षित मध्यम वर्ग, भारतीय दस्तकार और मजदूर, भारतीय किसान, पूँजीपति वर्ग, जमींदार वर्ग तथा व्यापारिक वर्ग। सभी ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया।
- शिक्षित मध्यम वर्ग – शहरों में शिक्षित मध्यम वर्ग ने असहयोग आंदोलन की शुरूआत की। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए, शिक्षकों ने इस्तीफे दे दिए। वकीलों ने मुकदमें लड़ने बंद कर दिए। शिक्षित वर्ग आंदोलन में शामिल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने देखा कि उनके बराबर पढ़े-लिखे अंग्रेज उनके अफसर बन जाते थे। भारतीय लोगों को वेतन भी अंग्रेजों के मुकाबले कम मिलता था। वे केवल क्लर्क ही पैदा होते थे और क्लर्क ही मर जाते थे। इस भेदभावपूर्ण नीति के कारण शिक्षित वर्ग अंग्रेज सरकार का विरोधी था।
- व्यापारी वर्ग – बहुत से स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया। अंग्रेज सरकार की गलत नीतियों के कारण व्यापारी वर्ग पूरी तरह बरबाद हो चुका था। अंग्रेज सस्ते दामों पर कच्चा माल ब्रिटेन ले जाते थे और वहाँ से तैयार माल लाकर अधिक कीमत पर भारत में बेचते थे। भारतीय व्यापारियों को इससे बहुत नुकसान होता था।
- सामान्य जनता – असहयोग आंदोलन एक जन आंदोलन बन गया था क्योंकि आम जनता ने विदेशी कपड़ों तथा चीजों का बहिष्कार किया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की और विदेशी कपड़ों की होली जलाई। आम जनता अंग्रेजों के अत्याचार से दुखी हो चुकी थी इसलिए उसने बढ़-चढ़कर असहयोग आंदोलन में भाग लिया।
- बाग़ान मजदूर – गांधी जी के विचार और स्वराज की अवधारणा जब मजदूरों को समझ में आई तो वे भी बाग़ानों की चारदीवारियों से बाहर निकलकर राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए। वे अपने अधिकारियों की अवहेलना करने । लगे। वे बागानों को काम छोड़कर अपने घरों को लौट गए क्योंकि उनको लगने लगा कि गांधी राज आते ही सबको जमीन मिल जाएगी।