Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास (Heredity and Evolution) Solutions
Question - 1 : - यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाले समष्टि के 10 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण B’ उसी समष्टि के 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
Answer - 1 : -
लक्षण-B पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि यह 60 प्रतिशत है तथा पीढ़ी दर पीढी लक्षण (trail or variations) किसी समष्टि की जनसंख्या संग्रहित होते हैं।
Question - 2 : - विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
Answer - 2 : -
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ के अस्तित्व की संभावना इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि वह स्पीशीज़ स्वयं को वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने में सक्षम हो जाता है। उदाहरण के लिए उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है। यदि वैश्विक ऊष्मीकरण (global warming) के कारण जल का ताप बढ़ जाता है, तो जीवाणु मर जाते हैं केवल उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले ही जीवित रह पाते हैं।
Question - 3 : - मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी हैं?
Answer - 3 : -
मेंडल ने पाया कि शुद्ध लंबे मटर के पौधे तथा शुद्ध बौने मटर के पौधे के बीच संकरण से F1 पीढ़ी में प्राप्त सभी पौधे लंबे थे।
I.
अर्थात्, दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक जनकीय लक्षण ही दिखाई देता है।
इसे प्रभावी लक्षण (Dominant traits) कहते हैं।
- द्वितीय चरण में उन्होंने F1 (T t) पीढ़ी से प्राप्त पौधों में स्वपरागण करवाया तो पाया कि लंबे तथा बौने पौधे का अनुपात 3:1 था। अर्थात् F2 पीढ़ी में भी लंबे पौधे प्रभावी थे, परंतु बौने पौधे अप्रभावी लक्षण (recessive traits) वाले भी थे।
II.
अर्थात् मेंडल के प्रयोग से स्पष्ट हो जाता है कि लक्षण प्रभावी या अप्रभावी हो सकते हैं।
Question - 4 : - मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
Answer - 4 : -
मेंडल के प्रयोग में F, पीढी के सभी पौधे लंबे थे तथा पुनः जब F, पीढी के दो पौधों का संकरण किया गया तब F2 पीढ़ी के पौधे या तो लंबे या बौने थे। लंबे तथा बौने का अनुपात 3-1 था। कोई भी पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। अर्थात् लंबे/बौनेपन का लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
Question - 5 : - एक ‘A-रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग – ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग -A अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
Answer - 5 : -
नहीं, यह सूचना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि
- यदि रक्त समूह A प्रभावी हो तथा रक्त समूह O अप्रभावी तब भी पुत्री का रुधिर समूह (वर्ग) O हो सकता | है।।
- यदि रक्त वर्ग A अप्रभावी परंतु रक्त वर्ग O प्रभावी हो तब भी पुत्री का रक्त वर्ग O हो सकता है।
Question - 6 : - मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
Answer - 6 : -
बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिस बच्चे को अपने पिता से ‘X’ गुणसूत्र वंशानुगत हुआ है वह लड़की तथा जिसे पिता से ‘Y’ गुणसूत्र वंशानुगत होता है, वह लड़का होगा।
अत: नर तथा मादा उत्पन्न होने की संभावनाएँ 1:1 के अनुपात में होती हैं।
Question - 7 : - वे कौन से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
Answer - 7 : -
निम्नलिखित तरीकों द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।
1. प्राकृतिक चयन (Natural selection)-प्रकृति द्वारा लाभप्रद विविधताओं वाली समष्टि को सतत् बनाए रखना प्राकृतिक चयन कहलाता है। वे लक्षण जो किसी व्यष्टि जीव के उत्तरजीविता तथा प्रजनन में लाभदायक होती हैं, अगली पीढ़ी (संतति) में हस्तान्तरित (passed on) हो जाती हैं। परंतु जिनसे कोई लाभ नहीं होता वे लक्षण संतति में नहीं जाते।
उदाहरण-जितने अधिक कौए होंगे उतने अधिक लाल शृंग उनके शिकार बनेंगे तथा समष्टि में हरे भृगों की संख्या बढ़ती जाएगी, क्योंकि हरी पत्तियों की झाड़ियों में हरे भुंग को कौए नहीं देख पाते हैं।
2. आनुवंशिक विचलन (Genetic drift)-कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटना के कारण किसी समष्टि के ज्यादातर जीव मर जाते हैं ऐसी स्थिति में जीन सीमित रह जाते हैं इसके कारण उस समष्टि का रूप बदल जाता है तथा उनकी संतति में केवल जीवित सदस्यों के लक्षण ही दिखाई देते हैं। इसे आनुवंशिक विचलन (Genetic drift) कहा जाता है।
जैसे-महामारी तथा परभक्षण (Predation) आदि की स्थिति में।
3. विभिन्नताएँ एवं अनुकूलन-विभिन्नताएँ एवं अनुकूलता पर्यावरण में जीवों की उत्तरजीविता कायम रखने में सहायक होते हैं।
Question - 8 : - एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
Answer - 8 : -
केवल वे ही लक्षण वंशानुगत होते हैं जो जनन कोशिकाओं के DNA द्वारा अगली पीढ़ी में जाते हैं। उपार्जित लक्षण का जनन कोशिका के जीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, कायिक ऊतकों में होने वाले परिवर्तन, लैंगिक कोशिकाओं के DNA में नहीं जा सकते।
Question - 9 : - बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता की दृष्टि से चिंता का विषय क्यों है?
Answer - 9 : -
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता की दृष्टि से इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि यदि बाघ विलुप्त (extinct) हो गए, तो इसके स्पीशीज़ का जीन भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा तथा बाघों के स्पीशीज़ को पुनः वापस ला पाना असंभव होगा। हमारी अगली पीढी बाघ को नहीं देख पाएगी।
Question - 10 : - वे कौन-से कारक हैं, जो नयी स्पीशीज़ के उद्भवे में सहायक हैं?
Answer - 10 : -
नयी स्पीशीज़ के उद्भव में सहायक कारक निम्न हैं
(a) जीन प्रवाह (genetic flow) का स्तर कम होना।
(b) प्राकृतिक चयन (वरण) (Natural selection)
(c) विभिन्नताएँ।
(d) भौगोलिक पृथक्करण के कारण जनन पृथक्करण (Reproductive isolation)
(e) आनुवंशिक विचलन (genetic drift)