Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास (Heredity and Evolution) Solutions
Question - 21 : - एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग को लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
Answer - 21 : -
नहीं, यह बताना संभव नहीं है कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी जब तक कि दोनों प्रकार के विकल्पों का पता न हो। ऐसा भी संभव है कि जनक (माता-पिता) में दोनों ही विकल्प हल्के रंग की आँखों के हों, क्योंकि लक्षण की प्रतिकृति दोनों जनकों (माता-पिता) से वंशानुगत होती हैं, अप्रभावी तभी होंगे, जब दोनों से प्राप्त जीन अप्रभावी हों। अतः हम केवल अनुमान लगा सकते हैं।
Question - 22 : - जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन आपस में किस प्रकार परस्पर संबंधित है।
Answer - 22 : -
विभिन्न जीवों के बीच समानताओं एवं विभिन्नताओं के आधार पर ही उनका वर्गीकरण करते हैं। दो स्पीशीज़ के बीच जितने अधिक अभिलक्षण समान होंगे उनका संबंध भी उतना ही निकट का होगा। जितनी अधिक समानताएँ होंगी, उनका उद्भव भी निकट अतीत में समान पूर्वजों से हुआ होगा।
Question - 23 : - समजात अंग एवं समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
Answer - 23 : -
समजात अंग (Homologous organs)-विभिन्न जीवों में ऐसे अंग जिनकी समान आधारभूत संरचना होती है, परंतु कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। जैसे- मेंढक, पक्षी एवं मनुष्य के अग्रपादों में अस्थियों की समान आधारभूत संरचना होती है, परंतु इनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। समरूप अंग (Analogous organs)-ऐसे अंग जो एक-समान कार्य संपन्न करते हैं, परंतु संरचनात्मक रूप से भिन्न होते हैं, उन्हें समरूप अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, कीट के पंख तथा पक्षी के पंख।
Question - 24 : - कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
Answer - 24 : -
प्रभावी रंग- सफ़ेद, अप्रभावी रंग- काला
Question - 25 : - विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
Answer - 25 : -
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्मे के निम्नलिखित महत्त्व हैं
- पृथ्वी की सतह के निकट वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए जाने वाले जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि किस जीव का उद्भव पहले तथा किसका बाद में हुआ।
- “फॉसिल डेटिंग’ विधि से भी जीवाश्म का समय निर्धारण किया जाता है तथा जीव के समय-काल का पता चलता है।
- जीवाश्म-आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx) दो भिन्न प्रकार के स्पीशीज़ के बीच एक कड़ी (link) दर्शाते हैं।
- जीवाश्मों से जीवों और उनके पूर्वजों के बीच विकासीय विशेषकों को स्थापित करने में सहायता मिलती है।
Question - 26 : - किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
Answer - 26 : -
स्टेनले एल० मिलर एवं हेराल्ड सी० उरे द्वारा 1953 में किए गए प्रयोगों के आधार पर इसकी पुष्टि की जा सकती है। उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण को निर्मित किया, जो संभवतः प्राथमिक/प्राचीन वातावरण के समान था (इसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे, लेकिन ऑक्सीजन के नहीं), पात्र में जल भी था। इसे 100° सेल्सियस से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गईं; जैसे- आकाश में बिजली एक सप्ताह के बाद, 15 प्रतिशत कार्बन (मीथेन से) सरल कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित हो गए। इनमें एमीनों अम्ल भी संश्लेषित हुए जिनसे प्रोटीन के अणुओं का निर्माण होता है। हम जानते हैं कि प्रोटीन जीवन का आधार है। अत: हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों (अकार्बनिक पदार्थों) से हुई है।
Question - 27 : - अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। व्याख्या कीजिए यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों में विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?
Answer - 27 : -
अलैंगिक जनन में केवल एक ही जनक से DNA प्रतिकृति होती है, जिसके कारण उनमें बहुत अधिक समानताएँ होती हैं; जैस- गन्ने के पौधे। इनमें थोड़ी बहुत विभिन्नताएँ प्रतिकृति बनने के दौरान त्रुटियों के कारण होती है, जो बहुत न्यून (कम) होती हैं। परंतु लैंगिक जश्न में दो जनक के युग्मकों से प्राप्त हुए DNA का संलयन होता है, जिसके कारण संतति में बहुत अधिक विभिन्नताएँ आ जाती हैं। विभिन्नताओं का प्राकृतिक चयन (natural selection) होता है। अनुकूल विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढी संचित होती रहती हैं तथा एक नई प्रजाति के रूप में विकसित होती हैं। स्पष्टतः ये विभिन्नताएँ वंशानुगत होती हैं तथा जैव विकास को प्रभावित करती हैं।
Question - 28 : - संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
Answer - 28 : -
लैंगिक जनन क्रिया में क्रोमोसोम (गुणसूत्र) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा दो भागों में बँटे जाते हैं और जब निषेचन क्रिया होती है, तो युग्मनज में आधे गुणसूत्र पिता से और आधे गुणसूत्र माता से आकर आपस में संयोजित हो जाते हैं। अर्थात् नर से (23 गुणसूत्र) तथा मादा से (23 गुणसूत्र) मिलकर संतति में 46 गुणसूत्र होते हैं तथा बराबरी की भागीदारी होती है। यही कारण है कि प्रत्येक पीढी के लक्षणों में विभिन्न्ताएँ आती रहती हैं।
Question - 29 : - केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?
Answer - 29 : -
हाँ, वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। उत्तरजीविता में लाभ वाली विभिन्नताओं का ही प्राकृतिक चयन होता है। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है उदाहरण के लिए, प्रारंभ में केवल एक हरे भुंग थे। कौए हरी पत्तियों में हरे भुंग को नहीं देख पाते हैं। अतः इन्हें नहीं खा पाते हैं, जिससे शृंगों की समष्टि में लाल भूगों की समष्टि की अपेक्षा हरे भूगों की संख्या बढ़ती जाती है। अर्थात्, लाल भृग तथा नीले भृग की तुलना में हरे भुंग के लिए उत्तरजीविता (survival) के लिए लाभ है।