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Chapter 6 जैव प्रक्रम (Life Processes) Solutions

Question - 21 : -
मूत्र’ बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?

Answer - 21 : -

  1. जल की मात्रा पुनरवशोषण (Reabsorption) शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वयं उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करती है।
  2. जैसे गर्मी के दिनों में शरीर से अत्यधिक पसीने के द्वारा जल एवं लवण निष्कासित होते हैं। इसलिए वृक्क के द्वारा छने (filterate) हुए मूत्र में विद्यमान जल एवं लवण की अधिकांश मात्रा पुनः अवशोषित कर ली जाती है। अतः मूत्र कम मात्रा में उत्सर्जित होते हैं इसके विपरीत सर्दियों में कम पसीना आता है, इसलिए मूत्र अधिक बनता है। जल एवं लवण पुनरवशोषण हार्मोन के द्वारा नियंत्रित होते हैं।
  3. अत: मूत्र निर्माण पर नियंत्रण रक्त के ऑसमोटिक (osmotic) संतुलन को भी बनाए रखता है।

Question - 22 : -
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है, जो संबंधित है
(a) पोषण
(b) श्वसन
(C) उत्सर्जन
(d) परिवहन

Answer - 22 : -

(c) उत्सर्जन।।

Question - 23 : -
पादप में जाइलम उत्तरदायी है
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(C) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन

Answer - 23 : -

(a) जल का वहन।।

Question - 24 : -
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(C) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी

Answer - 24 : -

(d) उपरोक्त सभी

Question - 25 : -
पायरुवेट के विखण्डन से यह कार्बन-डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है
(a) कोशिका द्रव्य
(b) माइटोकॉन्ड्रिया
(C) हरित लवक
(d) केन्द्रक

Answer - 25 : -

(b) माइटोकॉन्ड्रिया।

Question - 26 : -
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?

Answer - 26 : -

  1. वसा का पाचन छोटी आँत में होता है।
  2. क्षुद्रांत में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है, जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है।
  3. लीवर द्वारा स्रावित पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है, जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। यह इमल्सीकृत क्रिया कहलाती है।
  4. पित्त रस अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है, ताकि अग्न्याशय से स्रावित लाइपेज एंजाइम क्रियाशील हो सके।
  5. लाइपेज एंजाइम वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।
  6. पाचित वसा अंत में आंत्र की भित्रि अवशोषित कर लेती है।

Question - 27 : -
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?

Answer - 27 : -

भोजन के पाचन में लार की भूमिका निम्नलिखित है

  1. लार भोजन को गीला करता है जिससे निगलने में आसानी होती है।
  2. लार में एमिलेस (amylase) एंजाइम होता है, जो मंड (स्टार्च) के जटिल अणु को शर्करा में खंडित करता | है। (जटिल कार्बोहाइड्रेट को सरल कार्बोहाइड्रेड में बदलना)
  3. इसमें मौजूद लाइसोजाइम हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।

Question - 28 : -
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?

Answer - 28 : -

हरे पौधे स्वपोषी कहलाते हैं, क्योंकि प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा वे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं

  1. क्लोरोफिल-पौधों के हरे भाग में क्लोरोफिल होते हैं, जो प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है।
  2. सूर्य का प्रकाश-सूर्य के प्रकाश से
  3. कार्बन डाइऑक्साइड-वायुमंडल से
  4. जल-पौधे जड़ों द्वारा भूमि से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को निम्न रासायनिक समीकरण द्वारा बनाया जाता है।
अत: कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज़), ऑक्सीजन तथा जल उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं।

Question - 29 : -
वायवीय श्वसन तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।

Answer - 29 : -

Question - 30 : -
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?

Answer - 30 : -

कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है, जिससे गैसों का विनिमय हो सके। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है, जो वायु से ऑक्सीजन लेकर हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है तथा रुधिर में विलेय Co2 को कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है ताकि CO2 हमारे शरीर से बाहर निकल जाए।

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