Chapter 14 उर्जा के स्रोत (Sources of Energy) Solutions
Question - 21 : - ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय क्या
(c) तथा
(d) के विकल्प समान हैं?
Answer - 21 : -
(a) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वे होते हैं, जिसका प्रयोग बार-बार करने के बाद भी स्रोत में कमी नहीं आए। वे पुनः प्राप्त हो जाते हैं तथा इसका भंडार अक्षय रहता है; जैसे-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा इत्यादि।
(b) ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत वे हैं, जिनको एक बार प्रयुक्त कर लेने पर पुनः तुरंत नहीं बनाया जा सकता इसे बनाने में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं अर्थात् यदि इसी प्रकार तथा इसी दर से प्रयोग किया जाए, तो यह संभावना है कि निकट भविष्य में कभी भी इसके भंडार समाप्त हो सकते हैं। ऐसे स्रोत जे खत्म हो सकते हैं समाप्य स्रोत कहलाते हैं। जैसे-जीवाश्मी ईंधन (कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस)। अतः (a) और (b) के विकल्प समान हैं क्योंकि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत अक्षय हैं, परंतु अनवीकरणीय स्रोत समाप्य स्रोत हैं।
Question - 22 : - ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
Answer - 22 : -
एक आदर्श स्रोत के निम्नलिखित गुण होने चाहिए
- उस ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करने में सरलता हो।
- उस ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा, प्राप्त करना सस्ता हो।
- स्रोत से प्राप्त ऊर्जा का भंडारण और परिवहन आसानी से किया जा सके।
- इसका उच्च ऊष्मीय मान तथा उपयुक्त ज्वलन ताप होनी चाहिए।
- उस ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करने की दक्षता उच्च होनी चाहिए।
- इससे पर्यावरण को क्षति नहीं होनी चाहिए।
- दहन के बाद प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊष्मा मुक्त हो।
Question - 23 : - सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
Answer - 23 : -
सौर कुकर के लाभ-
- सौर कुकर के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता है।
- इसमें ईंधन की लागत शून्य है।
- खाना बनाने के बाद राख या अपशिष्ट नहीं बनता है।
- भोजन का पोषक तत्व नष्ट नहीं होता है।
- यह सस्ता है एवं इसका इस्तेमाल भी सरल है।
- सौर कुकर में एक समय में चार खाद्य पदार्थ पकाए जा सकते हैं।
- इसके रखरखाव पर कोई लागत नहीं आती।
सौर कुकर की सीमाएँ-
- सौर कुकर द्वारा रात के समय भोजन नहीं पकाया जा सकता।
- खराब मौसम में सौर कुकर में भोजन नहीं पकाया जा सकता है।
- इसमें खाना बनाने की प्रक्रिया धीमी है।
- यह हर प्रकार के भोजन बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
- सिर्फ़ तेज धूप में ही इसका उपयोग किया जा सकता है।
- अधिक उच्च ताप पर खाना बनाना; जैसे-तलना इत्यादि संभव नहीं है।
Question - 24 : - ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
Answer - 24 : -
उत्तर
ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति ज्यादातर जीवाश्म ईंधनों कोयला और पेट्रोलियम द्वारा पूरी की जाती है। परंतु ये स्रोत अनवीकरणीय एवं समाप्य हैं।
इसके दहन से वायुमंडल में प्रदूषण होता है। SO2, NO2 आदि गैसें मुक्त होती हैं, जिससे अम्लीय वर्षा होती है, जिसके कारण जल तथा मृदा के संसाधन प्रभावित होते हैं। इमारतों, लोहे की वस्तुओं, पुल इत्यादि को संक्षरित कर देते हैं। CO2 गैस ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाता है तथा हिम के पिघलने पर समुद्र तल बढ़ता है। समुद्रीय तट पर स्थित क्षेत्र तथा टापुओं के डूबने का खतरा बढ़ जाता है। वायुमंडल में कोयले तथा पेट्रोलियम के दहन से अवांछनीय कण जैसे-शीशा (lead) धूल कण इत्यादि बढ़ जाते हैं। इस तरह हमारे परिस्थितिक तंत्र के नष्ट हो जाने का भय होता है।
ऊर्जा की खपत कम करने के उपाय-
- नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग अधिक-से-अधिक करना; जैसे-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा इत्यादि।
- कोयले के स्थान पर ग्रामीण क्षेत्रों में बायो गैस का प्रयोग करना।
- विद्युत उपकरणों को अनावश्यक रूप से नहीं चलाना चाहिए।
- सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का अधिक-से-अधिक उपयोग करना।
- वाहनों में CNG का प्रयोग करना।
- रेड लाइटों पर इंजन बंद कर देना।