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Chapter 3 एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा Solutions

Question - 11 : -
डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?

Answer - 11 : -

डॉ. मीनू मेहता ने लेखिका को अल्युमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का निर्माण करने, लट्टों और रस्सियों का उपयोग करने, बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधने तथा अग्रिम दल के अभियांत्रिकीकार्यों की विस्तृत जानकारी दी।

Question - 12 : -
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?

Answer - 12 : -

तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा, “तुम पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो पहले ही प्रयास में शिखर पर पहुँच जाना चाहिए।

Question - 13 : -
लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?

Answer - 13 : -

लेखिका के अभियान-दल में यों तो लोपसांग, तशारिंग, एन.डी. शेरपा आदि अनेक सदस्य थे। किंतु उन्हें जिन साथियों के संग यात्रा करनी थी, वे थे-की, जय और मीनू।

Question - 14 : -
लोपसंगा ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?

Answer - 14 : -

लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ़ करने के लिए अपनी स्विस छुरी निकाली। उन्होंने लेखिका के आसपास जमे बड़े-बड़े हिमपिंडों को हटाया और लेखिका के चारों ओर जमी कड़ी बरफ़ की खुदाई किया। उन्होंने बड़ी मेहनत से लेखिका को बरफ़ की कब्र से खींच निकाला।

Question - 15 : -
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शूरू की?

Answer - 15 : -

‘साउथ कोल’ कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की चढ़ाई की तैयारी शुरू की। उसने खाना, कुकिंग गैस तथा ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्टे किए। उसके बाद वह चाय बनाने की तैयारी करने लगी।

Question - 16 : -
उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?

Answer - 16 : -

उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल को खंभु हिमपात की स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि उनके दल ने कैंप-एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है और फल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा इंडियों से रास्ता चिन्हित कर, सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बरफ़ की नदी है और बरफ़ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के किए गए सभी काम व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।

Question - 17 : -
हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?

Answer - 17 : -

बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही हिमपात कहलाता है। ग्लेशियर के बहने से बर्फ में हलचल मच जाती है। इस कारण बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें तत्काल गिर जाती हैं। इस अवसर पर स्थिति ऐसी खतरनाक हो जाती है कि धरातल पर दरार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। अकसर बर्फ़ में गहरी-चौड़ी दरारें बन जाती हैं। हिमपात से पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं।

Question - 18 : -
लेखिका ने तंबू में गिरे बरफ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया है?

Answer - 18 : -

लेखिका ने तंबू में गिरे बरफ़ के पिंड का वर्णन करते हुए कहा है कि वह ल्होत्से की बरफ़ीली सीधी ढलान पर लगाए गए नाइलान के तंबू के कैंप-तीन में थी। उसके तंबू में लोपसांग और तशारिंग उसके तंबू में थे। अचानक रात साढ़े बारह बजे उसके सिर में कोई सख्त चीज़ टकराई और उसकी नींद खुल गई। तभी एक जोरदार धमाका हुआ और उसे लगा कि एक ठंडी बहुत भारी चीज़ इसके शरीर को कुचलती चल रही थी। इससे उसे साँस लेने में कठिनाई होने लगी।

Question - 19 : -
लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?

Answer - 19 : -

जय बचेंद्री पाल का पर्वतारोही साथी था। उसे भी बचेंद्री के साथ पर्वत-शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देर हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। अतः बचेंद्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने के लिए पहुँची। जय को यह कल्पना नहीं थी कि बचेंद्री उसकी चिंता करेंगी और उसे लिवी लाने के लिए आएँगी। इसलिए जब उसने बचेंद्री पाल को चाय-जूस लिए आया देखा तो वह हक्का-बक्का रह गया।

Question - 20 : -
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।

Answer - 20 : -

पाठ से ज्ञात होता है कि एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए कुल पाँच कैंप बनाए गए। उनके दल का पहला कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर था जो हिमपात से ठीक ऊपर था। दूसरा कैंप-चार 7900 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया था। कैंप-तीन ल्होत्से की बरफ़ीली सीधी ढलान पर बनाया गया था। यहाँ नाइलोन के तंबू लगाए गए थे। एक कैंप साउथकोल पर बनाया गया था। यहीं से अभियान दल को एवरेस्ट पर चढ़ाई करनी थी। इसके अलावा एक बेस कैंप भी बनाया गया था।

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