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Question -

फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।



Answer -

आशय है कि धूल को भूलकर भी हेय नहीं मानना चाहिए। कारण यह है कि रेणु अर्थात् धूल फूलों की पंखुडियों पर पड़कर उसके सौंदर्य में वृद्धि कर देती है। यह धूल जब बालकृष्ण के खेलने-कूदने से उड़कर उनके चेहरे पर छा जाती है, इस धूल के कारण बालक का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। यह सौंदर्य किसी भी प्रसाधन के प्रयोग से बढ़े सौंदर्य से भी बढ़कर है।

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