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Question -

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए −

(क) जाकी अँग-अँग बास समानी

(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा

(ग) जाकी जोति बरै दिन राती

(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै

(ङ) नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै



Answer -

(क) कवि के अंग-अंग मे राम-नाम की सुगंध व्याप्त हो गई है। जैसे चंदन को पानी के साथ रगड़ने पर सुंगधित लेप बनती है, उसी प्रकार राम-नाम के लेप की सुंगधि उसके अंग-अंग में समा गई है कवि इसकी अनुभूति करता है।

(ख) चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है। इसीलिए कवि ने अपने को चकोर कहा है।

(ग) ईश्वर दीपक के समान है जिसकी ज्योति हमेशा जलती रहती है। उसका प्रकाश सर्वत्र सभी समय रहता है।

(घ) भगवान को लाल कहा है कि भगवान ही सबका कल्याण करता है इसके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों को ऊपर उठाने का काम करता हो।

(ङ) कवि का कहना है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से निम्न जाति में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च जाति जैसा सम्मान मिल जाता है।

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