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Question -

‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की’-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?



Answer -

इन पंक्तियों के द्वारा लेखक कहना चाहता है कि इन पंक्तियों का कवि धूल की महिमा का गान तो करता है। किंतु उसके मन में धूल को लेकर गर्व नहीं है। वह धूल को मैला करने वाली चीज़ मानता है। अतः उसके मन में धूल के प्रति अपराध बोध है। दूसरे, वह कवि बालकों में भी भेदभाव करता है। वह धूल सने बालकों और अन्य बालकों में भेद करता है।

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