Question -
Answer -
रात 12 बजे महिसागर नदी का किनारा लोगों की भीड़ से भर गया। घना अँधेरा छाया हुआ था। सत्याग्रहियों के आने का इंतजार हो रहा था। गांधी जी बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। महात्मा गांधी जी की जय, सरदार पटेल की जय, नेहरू की जय के नारों से महिसागर नदी का किनारा पूँज रहा था। नाव रवाना हुई। उसे निषादराज चला रहे थे। कुछ ही दूर में नारों की आवाज़ नदी के दूसरे तट से भी आने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे नदी का किनारा न हो पहाड़ की घाटी हो जहाँ प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। महिसागर के दूसरे तट पर भी स्थिति बिलकुल वैसी ही थी। गांधी जी के पार करने के बाद तट पर दिये लेकर खड़े लोग खड़े ही रह गए। अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे। जिन्हें नदी पार करनी होगी।