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Question -

काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए हस्ती चढिए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि। स्वान रूप संसार है, भूकन दे झख मारि।।



Answer -

काव्यसौंदर्य
भावसौंदर्य- कवि ने ज्ञान की साधना में जुटे लोगों को देखकर संसार की प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति की है। साधक व्यक्ति को देखकर संसार उस पर तरह-तरह टीका-टिप्पणी करता है।

शिल्य सौंदर्य-

मिश्रित शब्दावली युक्त सधुक्कड़ी भाषा है जिसमें तत्सम शब्द का प्रयोग है।
दोहा छंद का प्रयोग है।
रूपक अलंकार का अति सुंदर प्रयोग है। इस अलंकार की छटा दर्शनीय है।
स्वान रूप संसार में उपमा तथा अनुप्रास अलंकार है।
‘झख मारना’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग है।
भाषा में चित्रात्मकता है तथा दृश्य बिंबसाकार हो उठा है।

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