MENU
Question -

काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह! देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी।



Answer -

काव्य सौंदर्य
भाव-सौंदर्य- अंग्रेज़ों के अत्याचार और शोषण के प्रति भारतीयों के मन में विद्रोह की ज्वाला धधक उठी है। कोयल ने भारतीय जनमानस में उठने वाली दावानल को देख लिया है।
शिल्प सौंदर्य-

  1. दावानल की ज्वालाएँ में रूपक अलंकार है।
  2. प्रश्न शैली का प्रयोग है।
  3. भाषा साहित्यिक खड़ी बोली है। जिसमें तत्सम शब्दों की बहुलता है।
  4. मानवीकरण अलंकार है।
(ख) भाव-सौंदर्य-काव्यांश में कोयल के स्वतंत्र जीवन और कैदी कवि के यातनापूर्ण जीवन का चित्रण है। कोयल
भारतीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट अपनी आज़ादी पाने के लिए युद्ध करने हेतु प्रेरित कर रही है।
शिल्प-सौंदर्य-

  1. तेरी-मेरी, वाह-गुनाह में स्वर मैत्री अलंकार है।
  2. भाषा तत्सम शब्दावलीयुक्त साहित्यिक खड़ी बोली है।
  3. ‘गुनाह’ उर्दू शब्द का सुंदर प्रयोग है।
  4. रचना छंदबद्ध है।
  5. मानवीकरण अलंकार है।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×