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Question -

भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो! [CBSE]
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।



Answer -

(क) भाव-कोयल का स्वर अत्यंत मधुर एवं कर्णप्रिय होता है। कोयल अपने इस मृदुल वैभव रूपी स्वर की रखवाली करती-फिरती है। जेल के पास उसकी कैंक सुनकर कवि सोचता है कि शायद कोयल का वैभव लुट गया है।

(ख) पराधीन भारत की जेलों स्वाधीनता की माँग करने वाले कैदियों से अत्यंत क्रूरता से काम करवाया जाता था। इन कैदियों का मनोबल तोड़ने के लिए तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती थीं। कवि अपने पेट पर जूआ रखकर मोट खींचने का कठोर काम करता है। इस तरह वह अंग्रेजों की अकड़ ढीली करता है।

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