Question -
Answer -
यह कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आजादी के आंदोलन से जुड़ी है। ये दो बैल सच्चे भारतीय हैं, जिनमें से एक गाँधी जी की अहिंसा का समर्थक है तो दूसरा उग्र स्वभाव वाला है। दोनों मिलकर आजादी पाने के लिए संघर्षरत रहते हैं। झूरी का घर स्वदेश का प्रतीक है, जहाँ आने के लिए दोनों व्याकुल रहते हैं। उन्हें इसके लिए अनेक बाधाएँ झेलनी पड़ती हैं। जैसे क्रांतिकारियों को कालापानी की सजा होती थी उसी तरह इनको भी कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है। वहाँ ये अपने साथियों को मुक्त कराते हैं। दोनों को मारने के लिए बधिक के हाथों बेच दिया जाता है परंतु अंततः ये झूरी के घर अर्थात् स्वदेश वापस आ ही जाते हैं। इस प्रकार निःसंदेह यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है।