Question -
Answer -
मैंने प्राकृतिक आपदा द्वारा जान जाने की घटनाएँ तो नहीं देखीं सुनीं, किंतु मनुष्य द्वारा पैदा की गई आपदा के बारे में अवश्य सुना है। बात 1984 की है। उस समय श्रीमती इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री थीं। पंजाब में आतंकवाद फन फैलाए हुए था। इंदिरा गाँधी के कठोर रवैये के कारण कुछ सिक्ख उनसे नाराज़ थे। परिणामस्वरूप उनके अंगरक्षक बेअंत सिंह ने उन्हें गोलियों से भून डाला।
इस घटना की प्रतिक्रिया में अगले दिन पूरा देश जल उठा। दिल्ली में सैकड़ों सिक्खों को जिंदा जला डाला गया। उनकी संपत्ति, वाहन, दुकान-मकान जला डाले गए। मेरे पिता उन दंगों में शहीद होते-होते बचे थे। मेरे कितने ही मित्र-संबंधी सड़क पर आ गए थे। उनकी जीवन भर की कमाई एक राजनीतिक दल के भड़काए हुए दंगाइयों ने नष्ट कर डाली थी। आज भी मुझे इसकी याद दहला देती है।