Question -
Answer -
(i) आँख सेंकने के लिए भी न मिलना – (दुर्लभ होना) पुरानी चीज़ें तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी नहीं मिलते हैं।
(ii) आँखों से खा जाना – (क्रोधित होना) काँच का ग्लास टूट जाने से उसने बच्चे को ऐसे देखा मानो आँखों से ही खा जाएगा।
(iii) बाप डमरू, माँ चिलम – (बेढ़ंग सा आकार) सौरभ के डब्बे का आकार देखकर ऐसा लगता जैसे उसका बाप डमरू तथा माँ चिलम रही होगी।
(iv) डींगे सुनना – (झूठ-मूठ की तारीफ सुनना) अपनी बहादुरी की इतनी डींगें मत सुनाओ।
(v) चैन की नींद सोना – (निश्चिंत सोना) परीक्षा के बाद मैं चैन की नींद सोया हूँ।