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Chapter 9 टिकट अलबम Solutions

Question - 11 : -
कक्षा के बाकी विद्यार्थी स्वयं अलबम क्यों नहीं बनाते थे? वे राजप्पा और नागराजन के अलबम के दर्शक मात्र क्यों रह जाते हैं? अपने शिक्षक को बताओ।

Answer - 11 : -

कक्षा में बस एक राजप्पा ही था, जिसे टिकट इकट्ठा करने की धुन थी। वह एक-एक टिकट इकट्ठा करने के लिए मित्रों के घर के कई चक्कर लगाती थी लेकिन बाकी छात्र इतना परिश्रम नहीं करना चाहते थे। इसको बनाने में काफ़ी परिश्रम, समय और रुपए खर्च भी करना पड़ता था। बाकी छात्र दूसरों के अलबम को देखकर खुश हो जाते थे। कक्षा में राजप्पा ही ऐसा छात्र था जो बड़े मेहनत के साथ टिकटें जमा करता था। सभी विद्यार्थियों को नया काम करने का शौक नहीं होता। वे अधिक परिश्रम नहीं करना चाहते। वे दूसरों की वस्तुओं को देखकर ही खुश हो जाते हैं।

Question - 12 : -
मान लो कि स्कूल में तुम्हारी कोई प्रिय चीज़ खो गई है। तुम चाहते हो कि जिसे वह चीज़ मिले वह तुम्हें लौटा दे। इस संबंध में स्कूल के बोर्ड पर लगाने के लिए एक नोटिस तैयार करो निम्नलिखित बिंदु हों
(क) खोई हुई चीज़।
(ख) कहाँ खोई ?
(ग) मिल जाने पर कहाँ लौटाई जाए?
(घ) नोटिस लगाने वाले/वाली का नाम और कक्षा।

Answer - 12 : -

नोटिस
सूचनापट
कल दिनांक 5-4-20xx को मेरी छठी कक्षा की विज्ञान की पुस्तक विद्यालय के कंप्यूटर लैब में छूट गई थी। यदि किसी को यह मिली हो, तो छठी कक्षा में आकर मुझे देने का कष्ट करें।

नेहा तिवारी
छठी ‘ब’, क्रमांक-02

Question - 13 : -
राजप्पा और नागराजन की तरह क्या तुम भी कोई शौक रखते हो? उससे जुड़े किस्से सुनाओ।

Answer - 13 : -

नागराजन और राजप्पा की भाँति मुझे भी सिक्के इकट्ठे करने का शौक है। पुराने सिक्के को अधिक मूल्य देकर खरीद लेता हूँ। आज मेरे पास दुर्लभ सिक्के करीब 200 मेरे पास हैं। मैं यह इसलिए रखता हूँ ताकि ये सुरक्षित रहें और आने वाले अन्य बच्चे इसके बारे और अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें। छात्र इस प्रकार के अनेक अनुभव कक्षा में सुना सकते हैं।

Question - 14 : -
कुछ कहानियाँ सुखांत होती हैं और कुछ कहानियाँ दुखांत। इस कहानी के अंत को तुम दुखांत मानोगे या सुखांत? बताओ।

Answer - 14 : -

कहानियाँ प्रायः आमतौर पर सुखांत और दुखांत दो प्रकार की होती हैं। ऐसी कहानियाँ जिसका अंत सुखद होता है, सुखांत कहलाती हैं। जिन कहानियों का अंत किसी दुखद घटना से होता है, वे दुखांत कहलाती हैं। इस कहानी का अंत राजप्पा के फूट-फूटकर रोने से होता है। अतः यह कहानी दुखांत है।

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