Question -
Answer -
‘सिल्वर वैडिंग’ का प्रधान पात्र यशोधर बाबू है। वह रहता तो वर्तमान में हैं, परंतु जीता अतीत में है। वह अतीत को आदर्श मानता है। यशोधर को पुरानी जीवन शैली, विचार आदि अच्छे लगते हैं, वे उसका स्वप्न हैं। परंतु वर्तमान जीवन में वे अप्रासंगिक हो गए हैं। कहानी में यशोधर का परिवार नए ज़माने की सोच का है। वे प्रगति के नए आयाम छूना चाहते हैं। उनका रहन-सहन, जीने का तरीका, मूल्यबोध, संयुक्त परिवार के कटु अनुभव, सामूहिकता का अभाव आदि सब नए ज़माने की देन है। यशोधर को यह सब ‘समहाड इम्प्रापर’ लगता है। उन्हें हर नई चीज़ में कमी नजर आती है। वे नए जमाने के साथ तालमेल नहीं बना पा रहे। वे अधिकांश बदलावों से असंतुष्ट हैं। वे बच्चों की तरक्की पर खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दे पाते। यहाँ तक कि उन्हें बेटे भूषण के अच्छे वेतन में गलती नजर आती है। दरअसल यशोधर बाबू अपने समय से आगे निकल नहीं पाए। उन्हें लगता है कि उनके जमाने की सभी बातें आज भी वैसी ही होनी चाहिए। यह संभव नहीं है। इस तरह के रूढ़िवादी व्यक्ति समाज के हाशिए पर चले जाते हैं।