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Question -

‘यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज हैं। एक ऐसी आवाज, जो नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की हैं।” इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के सदर्भ में पठित अशों पर विचार करें।



Answer -

इल्या इहरनबुर्ग ने जो कहा वह बिलकुल सही कहा। यहूदियों की संख्या 60 लाख थी। सभी जुल्म सहने को मजबूर थे। किसी में विरोध करने का साहस नहीं था। लेकिन 13 वर्ष की लड़की ऐन फ्रैंक ने यह साहस किया। नाजियों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों को लिपिबद्ध किया। यह डायरी नाजियों की क्रूर मानसिकता का परिचय देती है। अकेली लड़की ने कुछ पृष्ठों के द्वारा 60 लाख यहूदियों का प्रतिनिधित्व किया। एक ऐसी आवाज़ यहूदियों के पक्ष में बोली जो इस सारे यंत्रणाओं की खुद स्वीकार थी। ऐन फ्रैंक की आवाज़ किसी भी संत या कवि की आवाज़ से कहीं अधिक सशक्त है।

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